वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत, पंजीकृत होने वाले व्यक्तियों के लिए इस नई साल की जीएसटी के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण अथवा नई खबर आ गई है। ये खबर खासकर उन लोगो या व्यापारियों लिए है जो जीएसटी चोरी और धोखाधड़ी करते है, और सरकार को चूना लगाते है। लेकिन हमने पहले की कहा था की बेशक आप कुछ समय तक चोरी कर लो, लेकिन हमेशा नहीं कर पाओगे।
तो अब सावधान हो जाइये क्योकि अभी कुछ दिन पहले, दिल्ली में हुई बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी चोरी और धोखाधड़ी करने वालो का पता लगाने के लिए एक समिति तैयार करने को कहा है। और बहुत जल्द यह समिति तैयार भी हो जाएगी।
अभी फिलाल में जीएसटी चोरी और धोखाधड़ी रोकने के सम्बंधित में, दिल्ली में मंगलवार को हुई बैठक में कुछ महत्वपूर्ण बातें हुई। इन्हीं बातो को हम इस लेख में आपको एक-एक करके इन सभी बातो को बताने जा रहे है। तो चलिए शुरू करते है।
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
गुड्स एंड सर्विसेज के तहत, इस साल आने वाले कुछ नए नियमो में सबसे पहले सरकार ने जीएसटी के तहत चोरी होने के बात पर गौर किया है। और सिर्फ इस बात को कहा ही नहीं है, बल्कि वित्त मंत्री ने दिल्ली में मंगलवार को होने वाली बैठक में साफ कर दिया है की, वह जल से जल्द इस जनवरी महीने के अंत तक एक समिति, मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को अपनाने पर सहमति हुई है।
जिसके लिए एक सूची बनाई जाएगी। इस समिति में, केंद्र और राज्यों के कर अधिकारी शामिल होंगे। यह पैनल रिफंड से संबंधित धोखाधड़ी अथवा जीएसटी की चोरी पर अंकुश लगाएगा। इस बैठक की अध्यक्षता राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय जी ने संभाली।
जीएसटी परिषद सचिवालय ने कहा, “केंद्रीय और राज्य के अधिकारियों की समिति एक सप्ताह के भीतर मानक संचालन प्रक्रिया का विस्तृत विवरण जारी करेगी। अथवा उन्होंने यह भी कहा की इसे जनवरी के अंत तक देश भर में लागू किया जा सकता है।
जीएसटी चोरी और धोखाधड़ी की जाँच के लिए व्यापारियों से मांगे 12 दस्तावेज?
दिल्ली में, मंगलवार को हुई बैठक में जीएसटी चोरी से बचने के लिए, अधिकारियों ने व्यापारियों अथवा करदाताओं से 12 दस्तावेजों की सूची भी मांगी है। यह सभी दस्तावेज, जीएसटी लागू होने के समय (वित्त वर्ष 2017-18) के होने चाहिए। इस विषय में अधिकारियों का मानना है की इससे जीएसटी चोरी अथवा धोखाधड़ी के मामलों की जांच में मदद मिलेगी।
अधिकारियों के इस कदम को उठाने से करदाताओं अथवा व्यापारियों में जरूर खलबली मची होगी। लेकिन जो लोग जीएसटी के तहत ईमानदारी से अपना कार्य कर रहें है, उन्हे अधिकारियों के इस कदम को उठाने के लिए कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए। सरकार जरूर इस बात पर गौर करेगी। और जो लोग वास्तवं में जीएसटी चोरी कर रहे है, तो ऐसे व्यापारी इस कदम को अनैतिक बता रहे है।
किन दस्तावेजों को जीएसटी अधिकारियों ने व्यापारियों से मांगे है :-
अभी बैठक में हुई इन 12 दस्तावेजों की सूची सरकार ने पेश नहीं की है, लेकिन हमारी जानकारी के तहत, केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने इस सूची में आने वाले दस्तावेज कुछ इस प्रकार है।
- जीएसटी रिटर्न फाइल दस्तावेज
- जीएसटी पंजीकरण प्रमाण पत्र
- वार्षिक रिपोर्ट की प्रति
- आयकर रिटर्न
- लागत रिपोर्ट कर
- आंतरिक लेखा परीक्षा (जीएसटी ऑडिट)
- कैश लेजर (नकद बहीखाता)
- कार्य आदेश
इसके बाद, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कई दस्तावेज पहले से ही विभाग के पास हैं। जोकि इस मामले में, उनकी मांग फिर से उचित है।
जीएसटी रिटर्न में गड़बड़ी होने पर ऑडिट
दिल्ली में हुई मीटिंग में एक अधिकारी ने यह भी कहा की, अगर करदाता के रिटर्न फाइल में कुछ भी संदिग्ध पाए जाने पर, तुरंत व्यवसाय की ऑडिट करवाया जाना चाहिए। कुछ बड़ी कंपनियों ने तो एक से अधिक जीएसटी के तहत पंजीकरण करवाया हुआ है। तो ऐसी स्थिति में सरकार के लिए प्रत्येक राज्य और प्रत्येक वर्ष में ऑडिट करवाना थोड़ा मुश्किल होता है।
इसके लिए सरकार को करदाताओं के रिकॉर्ड को जमा करने के लिए एक केंद्रीय प्रणाली बनाई जानी चाहिए। आपको पता है, की भारत की अर्थव्यवस्था साल दर साल गिरती जा रही है। जिसके तहत जीएसटी संग्रह लगातार सरकार के लक्ष्य से नीचे ही रहा है। ऐसे में भारत सरकार ने अधिकारियों पर दबाव डाला हुआ है, की वे नए साल (2020) में निर्धारित जीएसटी संग्रह के लक्ष्य को प्राप्त करें।
जिससे की अधिकारी बेजोड़ मेहनत, अथवा जीएसटी चोरी अथवा धोखाधड़ी के मामलों पर अंकुश लगाने में लगे हुए है। इसीलिए जीएसटी चोरी अथवा धोखाधड़ी वाले व्यापरियों को पकड़ने में अधिकारी अपनी पूरी कोशिश में लगे हुए है।
जीएसटी आईटीसी के लिए नया नियम !
अधिकारियों ने इसी चर्चा (जीएसटी चोरी) को रोकने के लिए एक बैठक भी बुलाई गई। बैठक में जीएसटी शासन से जुडी खामियों को दूर करने के लिए नौ-स्तरीय रणनीति तैयार की गई। जिसमे की बैठक में शामिल क्लियर टैक्स के संस्थापक और CEO (सीईओ) अर्चित गुप्ता ने कहा, की सरकार को अगर टैक्स में वृद्धि करनी है तो, उसे टेक्नोलोजी (प्रौद्योगिकी) पर जोर देना चाहिए।
क्योकि करदाताओं या व्यापारियों को परेशान करने से अधिक लाभ नहीं मिलने वाला, अपितु सरकार को और हानि होने का खतरा भडेगा। लेकिन हमारे हिसाब से अगर भारत सरकार टेक्नोलोजी पर ज्यादा ध्यान दे तो, परिणाम कुछ अलग हो सकते है। इसी लिए सरकार इसी बैठक के निर्णय को मद्दे नजर रखते हुए एक नए नियम को लाने की तयारी में लगी हुई है। जिसमे की जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट केवल 10 प्रतिशत हो, अर्थात इससे ज्यादा इनपुट टैक्स नहीं होना चाहिए।
बैठक के तहत, बयान में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT), केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क (CBIC) और GST नेटवर्क के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह एप्लिकेशन प्रोग्राम इंटरफ़ेस के माध्यम से डेटा का आदान-प्रदान करने की अनुमति देगा।
33 करोड़ की जीएसटी चोरी और धोखाधड़ी पकड़ी गई
“दैनिक भास्कर” की एक खबर के मुताबिक, अभी कुछ दिनों पहले जानकारों ने पता लगाया की, जयपुर में एक 69 साल का आदमी, जिसका नाम सुभाषचंद्र त्यागी ने 33.50 करोड़ रु. की जीएसटी चोरी की है। जोकि जीएसटी अधिकारियों द्वारा पकड़ा गया है। फिलाल वह आदमी अभी जेल में है। आरोपी अनाज के व्यापारियों को माल काे खरीदे-बेचे बिना बिल उपलब्ध करा रहा था।
इन फर्जी बिलों से दो साल में फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट पास कर टैक्स चोरी को अंजाम दिया गया। यह आदमी जयपुर के मानसराेवर इलाके के सुखीजा विहार में है। जिसने की जीएसटी चोरी और धोखाधड़ी करने के लिए 11 फर्जी फर्में बना रखी थी। उसने जुलाई 2017 से मई 2019 तक फर्जी जीएसटी क्रेडिट के माध्यम से कुल 33.50 करोड़ रुपए की चोरी को अंजाम दिया था।
इसके बाद, अधिकारियों के द्वारा इसे न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। काेर्ट काे विशेष लोक अभियोजक रूप नारायण यादव ने बताया कि अनाज व्यापारियों को माल बेचने पर 5% जीएसटी चुकाना होता है। तो इस स्थिति में 11 फर्जी फर्माें के जरिए सुभाषचंद्र टैक्स चोरी करवाता था।
उत्तराखंड में 8000 करोड़ की जीएसटी चोरी का भंडाफोड़, 70 जगहों पर छापे
“आजतक news” चैनल के अनुसार, उत्तराखंड में, अभी कुछ समय पहले, दिसम्बर में जीएसटी के तहत, कर चोरी का एक बड़ा मामला सामने आया है। जिसमे की वित्त सचिव अमित नेगी के निर्देश पर, जीएसटी देहरादून की 55 टीमों ने राज्य के 70 व्यवसायिक ठिकानो पर छापा मारा था। और लगभग 8000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी और धोखाधड़ी का खुलासा किया है।
यह ही नहीं, बल्कि यह भी पता चला की ई-वे बिल के जरिये उत्तराखंड राज्य में कुछ लोगो द्वारा करोडो रुपये का कारोबार किया जा रहा है। हालांकि, अभी इस मुद्दे की जांच हो रही है, और अभी कोई शख्स गिरफ्तार नहीं किया है।
1. उत्तराखंड में 8000 करोड़ का जीएसटी चोरी और धोखाधड़ी
इस घोटाले को पकड़ने के केंद्र और राज्य ने मिलकर जीएसटी टीम ने 2 महीने तक एक अभियान चलाया। इस अभियान को पूरा करने के बाद, जो नतीजे टैक्स चोरी के सामने आये, वे बेहद चौंकाने वाले थे। क्योकि कर अधिकारियों की मदद से, राज्य में एक बड़ा खुलासा किया जा रहा था।
जांच के दौरान, जीएसटी टीम ने कई ऐसे लोगो की पहचान की है जो, लगभग 70 फर्जी फर्म अथवा व्यवसाय और कंपनियां बनाकर फर्जी ई-वे बिल बनाये जा रहे थे। जो की इनकी कीमत लगभग 1200 करोड़ है। घोटाले को पकड़ने के लिए केंद्र और राज्य ने मिलकर जीएसटी टीम ने 2 महीने तक एक अभियान चलाया। इस अभियान के बाद टैक्स चोरी के जो आंकड़े सामने आए, वे बेहद चौंकाने वाले हैं।
कर आयुक्त के सौजन्य से, राज्य में कर चोरी का एक बड़ा खेल खेला जा रहा था। जांच के दौरान, इस टीम ने कई ऐसे लोगों की पहचान की है जो लगभग 70 फर्जी फर्म और कंपनियां बनाकर ई-वे बिल बना रहे थे। इनकी कीमत करीब 1200 करोड़ है। जिससे अब तक 8000 करोड़ रुपये का फर्जी बिल बनाकर सरकार को टैक्स का चूना लगाया गया है।
इन लोगों ने फर्जी फर्म बनाने के लिए फर्जी दस्तावेज भी तैयार किए। जब टीम ने इन 70 कंपनियों की गहन जांच शुरू की, तो पाया गया कि इन 70 कंपनियों और फर्मों के 34 फार्म दिल्ली से मशीनरी और कंपाउंड दोनों की खरीद के लिए ई-वे बिल बना रहे थे। इन कंपनियों ने राज्य के बाहर और प्रांतों में भी खरीद-बिक्री दिखाई।
आजतक की खबर के मुताबिक, उत्तराखंड में जीएसटी चोरी का यह पहला बड़ा मामला है। इसके बाद राज्य के जीएसटी अधिकारियों और केंद्र सरकार के जीएसटी अधिकारियों ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है।