आपको पता ही होगा की आज कल पूरे विश्व भर में आई विपदा (कोरोना वायरस) से संक्रमण के फैलने की वजह से भारत सरकार चालू वित्त वर्ष में जीएसटी संग्रह के लक्ष्य से चूक सकती है। इस महामारी की वजह से मांग और आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ेंगी, जिससे अगले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भी सरकार के लिए जीएसटी संग्रह के लक्ष्य को हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा। आपको पता ही होगा की, भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पहले ही 11 साल के निचले स्तर पर आ चुकी है। ऐसे में कोरोना वायरस के चलते सरकार ने वीजा पर अंकुश लगाए हैं, जिससे पर्यटन और होटल क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इस लेख में हम कोरोना वायरस से जीएसटी संग्रह में आई भारी कमी के बारे में बताने जा रहे है। चलिए शुरू करते है।
कोरोना वायरस के चलते, जीएसटी रिटर्न फाइलिंग की तारीख बढ़ाई
भारत पूर्ण रूप से लॉकडाउन और राज्य कार्यालयों के बंद होने का असर मार्च और अप्रैल में जीएसटी संग्रह पर पूरी तरह से पड़ने वाला है। ऐसी स्थिति में करदाता की बढ़ती परेशानी को देखते हुए, भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस के कारण मची उथल-पुथल के बीच देश के कारोबारियों को वस्तु एवं सेवा कर प्राणाली (जीएसटी) रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा में राहत प्रदान करते हुए मंगलवार (24 मार्च) को इसे बढ़ाकर 30 जून करने की घोषणा कर दी है। इस घोषणा के बाद अब कारोबारी मार्च, अप्रैल और मई महीने का जीएसटी रिटर्न 30 जून 2020 तक दाखिल कर सकते हैं।
अथवा कम्पोजिशन रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख बढ़ाकर 30 जून कर दी है। वित्तमंत्री ने कहा कि पांच करोड़ से कम टर्नओवर वाली कंपनियों को जीएसटी विलंब से दाखिल करने पर कोई ब्याज दर, विलंब शुल्क व जुर्माना नहीं लगेगा। अथवा पांच करोड़ रुपए से अधिक के टर्नओवर वाली कंपनियों को जीएसटी देर से दाखिल करने पर कोई विलंब शुल्क या जुर्माना नहीं लगेगा।
और वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तिथि भी बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दी गई है। वहीं, टीडीएस जमा में विलंब पर ब्याज दर 18 फीसदी से घटाकर नौ फीसदी कर दी गई है।
क्योकि आप आज कल खुद स्थिति देख रहे होंगे की, संभाग भर के व्यवसाय न्यूनतम स्तर पर काम कर रहे है। मुख्य रूप से, यात्रा (परिवहन, हवाई यात्रा, रेल यात्रा), रेस्टोरेंट/होटल और भोजन जैसे क्षेत्रों में व्यापार में तेज गिरावट देखी जाएगी।
जीएसटी संग्रह में नुकसान?
एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, परिवहन, पर्यटन और होटल जैसे तीन क्षेत्रों के लिए अक्षमता विश्लेषण मांग और उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पिछले कुछ दिनों में दिखाई दिया है। कुल आधार पर, अनुमान है कि व्यापार, होटल और परिवहन से जीडीपी पर 5 प्रतिशत की अक्षमता का प्रभाव भंडारण और संचार खंड पर 90 आधार अंक तक होगा।अथवा महान प्रभाव के साथ, यह 2019-20 और 2020-21 तक बाद के वर्षों में बढ़ भी सकता है। जिससे दूर से ही पता चल रहा है की आने वाले समय में जीएसटी संग्रह में और कमी देखने को मिल सकती है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हर महीने औसतन 25 मिलियन और 300 मिलियन लोग हवाई जहाज और ट्रेन का उपयोग करते हैं। लेकिन इस समय आने वाले समय में लगभग 10 प्रतिशत की कमी से मासिक आधार पर 3,500 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा। जिससे की जीएसटी संग्रह में बहुत बड़ी कमी देखने को मिलेगी।
व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण को चालू वित्त वर्ष में सेवाओं के मूल्य में 33 लाख करोड़ रुपये उत्पन्न होने की उम्मीद थी। इस खंड द्वारा जीएसटी संग्रह को प्रभावित करते हुए इस संख्या को नीचे की ओर संशोधित किया जा सकता है।
जीएसटी टैक्स दर में भारी कमी?
आपको पता ही होगा की, इकोनॉमी क्लास एयरफेयर पर 5 फीसदी और बिजनेस क्लास एयरफेयर पर 12 फीसदी जीएसटी टैक्स वसूला जाता है, जबकि ट्रेन किराए पर जीएसटी 5 फीसदी है। 7,500 रुपये प्रति रात तक टैरिफ वाले होटल के कमरे पर जीएसटी 12 प्रतिशत है और 7,500 रुपये से ऊपर के कमरे टैरिफ पर कर 18 प्रतिशत है। परिवहन, पर्यटन और होटलों पर प्रभाव ईंधन खनिज, बिजली और पानी और रबर, प्लास्टिक, कोक और पेट्रोलियम उत्पादों जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करेगा।
ये सभी जीएसटी संग्रह को चालू वित्त वर्ष में सरकार की राजकोषीय स्थिति को और अधिक प्रभावित करेंगे, हालांकि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को अगले वित्तीय वर्ष में केवल कोरोना वायरस के प्रभाव की उम्मीद है। सरकार ने मार्च तक जीएसटी संग्रह लक्ष्य 1.25 लाख करोड़ रुपये रखा था। लेकिन यह अब कोरोना वायरस की वजह से संभव नहीं दिखता। अगर फरवरी महींने की बात करें तो जीएसटी संग्रह 1.10 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले मासिक जीएसटी संग्रह 1.06 लाख करोड़ रुपये रहा।
केंद्र सरकार के संशोधित बजट अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में जीएसटी संग्रह 6.12 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है। जनवरी तक, यह संग्रह लगभग 5 लाख करोड़ रुपये था। इस बीच, अधिकांश कार्यालयों को न्यूनतम कर्मचारियों पर काम करने के लिए मजबूर किया गया है और कई ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए भी कहा है।
क्योकि कोरोना के कहर से व्यवसाय बाधित हो रहा है। खरीदारी के लिए बाजार आने वाले ग्राहकों का ग्राफ लगातार घटता जा रहा है। ऐसे में व्यवसायियों का कहना है कि जब कारोबार ही नहीं करेंगे तो जीएसटी कैसे चुका पाएंगे। दूसरी तरफ, वित्तीय वर्ष का अंतिम महीने मार्च में जहाँ टैक्स की वसूली के लिए सरकार प्रतिबद्ध है वहीं अब कोरोना का असर टैक्स वसूली पर भी पड़ना शुरू हो गया है।
कई व्यवसायियों और व्यवसायिक संगठनों के प्रतिनिधि टैक्स वसूली में समय सीमा बढ़ाने की मांग करने लगे हैं। इनका कहना है कि बाजार पर कोरोना का व्यापक असर पड़ा है। व्यवसाय पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ा है। इस कारण तत्काल टैक्स जमा करना मुश्किल हो रहा है। सरकार को व्यवसायियों की समस्या को समझना चाहिये। साथ ही, टैक्स जमा करने की निर्धारित समय सीमा को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।