जैसा कि हम जानते हैं कि जीएसटी देश के बड़े पैमाने पर कराधान का अनुपालन करने के तरीके को बदलने जा रहा है। जीएसटी का प्राथमिक उद्देश्य जीएसटी के तहत सभी बिलो को कानून के दायरे में लाना है। क्योकि जब आप जीएसटी बिल बनाते है, तो उस बिल के माध्यम से सभी लेंन-देन की जानकारियां सरकार की नजर में आ जाती है। परतुं जब आप जीएसटी इनवॉइस न बना कर साधारण बिल बनाते है। तो उस बिल पर बनी लेन-देन की जानकारियां सरकार तक नहीं पहुंच पाती है और ऐसा करके विक्रेता जीएसटी टैक्स बचता है और काला धन जमा करता है। जबकि सरकार का महत्वपूर्ण उद्देश्य यही है, की देश से भ्रष्टाचार दूर करना।
जीएसटी शासन के तहत चालान को कई श्रेणियों में विभाजित किया गया है। एक सामान्य जीएसटी चालान, वाउचर, डेबिट नोट, क्रेडिट नोट, पूरक चालान और आपूर्ति का बिल है। इसीलिए आज हम बात करते है जीएसटी बिल क्या है? और एक बिल में क्या-क्या होना अनिवार्य है?
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
जाने क्या है? जीएसटी बिल
वह एकमात्र दस्तावेज जिसके अंतर्गत सभी व्यापारिक लेनदेन के सभी उचित विवरण शामिल होता है। जीएसटी के तहत उसे जीएसटी बिल कहते है। इसके अंतर्गत उत्पाद का नाम, विवरण, मात्रा, आपूर्तिकर्ता और क्रेता का विवरण, बिक्री की शर्तें, रेट चार्ज, छूट आदि शामिल होते है।
जीएसटी के तहत जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार की खरीदारी करता है, तो उसको उसकी खरीदारी की जानकारी के प्रारूप में एक बिल दिया जाता है। उस बिल के अंतर्गत व्यक्ति द्वारा की गयी सभी खरीदारियों की जानकारियो का विवरण होता है। उस बिल को जीएसटी चालान कहा जाता है। वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति करते समय जीएसटी के तहत एक कर योग्य व्यक्ति द्वारा एक जीएसटी चालान जारी किया जाना चाहिए।
जैसा की आप नीचे देख सकते है, जीएसटी बिल का प्रारूप। की किस प्रकार का होता है जीएसटी बिल और कैसा दिखता है।
जीएसटी बिल में अनिवार्य जानकारियां क्या है?
जीएसटी बिल आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण है। क्योकि इसके माध्यम से हम जान सकते है, की हमारे द्वारा खरीद पर विक्रेता ने कितना टैक्स वसूला है। टैक्स बिल टैक्स चार्ज करने और इनपुट टैक्स क्रेडिट पर खर्च करने के लिए जारी किया जाता है। तथा एक वास्तविक टैक्स बिल के अंतर्गत निम्नलिखित जानकारियों का होना आवयश्क है :-
- बिल संख्या और दिनांक
- ग्राहक का नाम
- शिपिंग और बिलिंग पता
- ग्राहक और करदाता का जीएसटीआईएन (GSTIN) – यदि पंजीकृत है
- आपूर्ति का स्थान
- HSN कोड / SAC कोड
- वस्तु का विवरण अर्थात् मात्रा
- कर योग्य मूल्य और छूट
- करों की दर और राशि ( सीजीएसटी / एसजीएसटी / आईजीएसटी )
- आपूर्तिकर्ता का हस्ताक्षर
- यदि प्राप्तकर्ता पंजीकृत नहीं है और सामान 50,000 रुपये से अधिक का है, तो बिल में होना चाहिए :-
- प्राप्तकर्ता का नाम और पता,
- वितरण का पता,
- राज्य का नाम और राज्य कोड
अगर किसी जीएसटी इनवॉइस में इस प्रकार की कोई जानकारी नहीं है तो आपका बिल फर्जी जीएसटी बिल हो सकता है।
जीएसटी बिल के प्रकार
जीएसटी नियम के अनुसार जब भी हम किसी प्रकार की खरीदारी करते है, माल बेचते है या फिर किसी सौदे को उसके बताये गए पते पर पहुंचाते है। इन सब के आधार आप जीएसटी के विभिन्न प्रकार के बिल होता है, जो की निम्नलिखित है :
1. बिक्री का बिल
जब कोई विक्रेता किसी वस्तु बेचता है तो विक्रेता द्वारा दिया गया क्रेता को बिल, बिक्री का बिल कहलाता है। जब कोई पंजीकृत व्यक्ति सामान या सेवा को अंपजीकृत व्यक्ति को बेचता है तो जारी किए जाने वाले बिल का प्रकार आपूर्ति करने वाले पंजीकृत व्यक्ति पर निर्भर करता है।
2. खरीद का बिल
- जब कोई व्यक्ति किसी विक्रेता के पास जाकर किसी वस्तु क्रय करता है तो विक्रेता द्वारा दिया गया बिल क्रेता के लिए खरीद का बिल कहलाता है।
- जीएसटी रिवर्स चार्ज के अंतर्गत जब कोई अपंजीकृत व्यक्ति से सामान या सेवा खरीदने वाले किसी भी पंजीकृत व्यक्ति को भुगतान बिल जारी करने के साथ-साथ कर बिल भी जारी करना होता है। जारी किए जाने वाले बिल का प्रकार आपूर्ति करने वाले पंजीकृत व्यक्ति पर निर्भर करता है।
3. आपूर्ति का बिल
आपूर्ति का बिल एक प्रकार का दस्तावेज होता है। जो की एक सामान्य टैक्स बिल से अलग होता है। इन बिलों में कोई कर राशि नहीं है, क्योंकि विक्रेता खरीदार से किसी भी प्रकार से जीएसटी वसूल नहीं सकता है। आपूर्ति का बिल उन मामलों में जारी किया जाता है जहां कर नहीं लगाया जा सकता है:
- पंजीकृत व्यक्ति छूट प्राप्त वस्तुओं / सेवाओं को बेच रहा है,
- पंजीकृत व्यक्ति ने कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुना है
- आपूर्ति का चालान सह बिल
आपूर्ति का चालान सह बिल :- जब कोई पंजीकृत व्यक्ति कर योग्य होने के साथ-साथ छूट प्राप्त वस्तु या सेवा या दोनों एक अपंजीकृत व्यक्ति के लिए आपूर्ति करता है, इस प्रकार की सभी आपूर्ति के लिए एकल आपूर्ति का चालान सह बिल जारी किया जा सकता है।
4. रिफंड वाउचर
जीएसटी रसीद वाउचर एक व्यावसायिक दस्तावेज और वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के लिए अग्रिम भुगतान के लिए सबूत होता है। जीएसटी के तहत पंजीकृत संस्थाओं को ग्राहक से अग्रिम भुगतान प्राप्त करने के बाद जीएसटी रसीद जारी करनी होती है। जिसे रसीद वाउचर कहते है। और यदि अग्रिम भुगतान के बाद किसी सेवा के लिए ऑर्डर रद्द हो जाता है, तो सेवा देने वाला भुगतान करने वाले को एक बिल जारी करना होता है, जिसे रिफंड वाउचर कहा जाता है।
रिफंड वाउचर में सेवाओं के लिए आपूर्ति का समय निम्न प्रकार से लिखते है –
- बिल जारी करने की तिथि
- भुगतान की रसीद की तारीख /अग्रिम
- जिस तारीख को बिल जारी किया जाना है।
भुगतान की रसीद की तारीख /अग्रिम :- यदि चालान जारी करने से पहले अग्रिम प्राप्त किया जाता है, तो अग्रिम की प्राप्ति की तारीख होती है।
5. डिलीवरी बिल
डिलीवरी बिल तब लागू होता हैं, जब कोई खरीदार किसी विक्रेता से वस्तु या सामान खरीदता है और उस विक्रेता को अपना पता बताता है जहां पर ख़रीदा गया वस्तु या सामान पहुंचना है। तो उस बिल के साथ एक डिलीवरी शुल्क लगता है जिसे विक्रेता खरीदार के सामान्य बिल में जोड़ देता है। यदि विचाराधीन उत्पाद कर योग्य है, तो कर की दर के आधार पर डिलेवरी शुल्क पर भी कर लगता है।
उदाहरण के लिए जब हम किसी वस्तु या सेवा का क्रय ई-कॉमर्स के माध्यम से करते है, तो उस वस्तु या सेवा पर एक डिलेवरी चार्ज लगता है जिसको आपके बिल में अंकित किया जाता है। उस अंकित बिल को डिलीवरी बिल कहा जाता है।
6. उधारी पर्ची
ऐसे मामले जहां जब कोई व्यक्ति किसी थोक व्यापारी से माल ख़रीदा है और माल का पूर्णरूप से भुगतान करने के लिए उस पर पूर्णरूप से भुगतान जितने रूपए नहीं होते है, परन्तु वह माल उधार के रूप में लाता है। तो उस थोक व्यापारी दवारा उस व्यक्ति को दिया गया जीएसटी बिल के तहत उधार पर्ची बिल कहलाता है।
7. डेबिट नोट्स – क्रेडिट नोट
- ऐसे मामले जहां एक आपूर्ति के लिए टैक्स बिल जारी किया गया है और बाद में यह पाया गया है कि उस बिल में लगाए गए मूल्य, वास्तव में देय टैक्स से कम है, तो इस स्थिति में आपूर्तिकर्ता को प्राप्तकर्ता को एक डेबिट नोट जारी करना होता है।
- वहीं ऐसे मामले में जहां आपूर्ति के लिए कर चालान जारी किया जाता है और बाद में यह पाया जाता है कि उस चालान में लिया गया मूल्य, वास्तव में देय टैक्स से अधिक है, तो जहां पर प्राप्तकर्ता ने माल वापस कर दिया है। इसीलिए आपूर्तिकर्ता को प्राप्तकर्ता को क्रेडिट नोट जारी करना होता है।
8. स्वीकार पत्र
जब किसी अन्य देश से किसी व्यापारी से वस्तु या सेवा का निर्यात करते है तो उस वस्तु और सेवा को हमारे द्वारा बातये गए पते पर जब वह वस्तु प्राप्त हो जाती है। तो प्राप्तकर्ता द्वारा उस व्यापारी को भेजा गया पत्र स्वीकार पत्र कहलाता है इस पत्र के अंतर्गत बताया जाता है, की हमने जिस वस्तु या सेवा का निर्यात किया ह वह हमारे बताये गए पते पर पहुंच गया है।
जीएसटी बिल का क्या महत्व है?
आज के समय में जीएसटी बिल का बहुत महत्व है। क्योकि इसी के माध्यम से क्रेता को ज्ञात होता है। की उसकी किस वस्तु पर कितना जीएसटी टैक्स लगा है या आपकी पूरी खरीद पर कितना जीएसटी टैक्स बनता है। इसके और भी महत्वपूर्ण महत्व निम्नलिखित है :-
- एक जीएसटी बीजक माल और सेवाओं की आपूर्ति के लिए एक सबूत के रूप में कार्य करता है
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) प्राप्त करने के लिए प्राप्तकर्ता के लिए यह एक आवश्यक दस्तावेज है।
- जीएसटी चालान आपूर्ति के समय ज़िम्मेदार है और इसलिए यह आपूर्ति के समय का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
एक वाक्य में संक्षेप में कहें, तो जीएसटी बिल इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए आपूर्ति और महत्वपूर्ण प्रमाण है।
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