देश को सभी करों से मुक्त करते हुए भारत सरकार द्वारा एक एकल कर (जीएसटी) लागू किया गया। लेकिन जब भारत सरकार ने भारत में जीएसटी की शुरुआत की, तो इसके साथ टैक्स लगाने और जमा करने की प्रक्रिया में जीएसटी रिवर्स चार्ज प्रक्रिया भी शामिल थी। जीएसटी रिवर्स चार्ज के अंतर्गत खरीदार (क्रेता) जीएसटी टैक्स चार्ज करने और जमा करने के लिए उत्तरदायी होता है, विक्रेता नहीं। क्योकि जीएसटी रिवर्स चार्ज के तहत जीएसटी टैक्स का ऋण परिशोधन खरीदार को करना होता है। हालांकि, प्रारंभिक चरण में, व्यापारियों को आगे की परेशानी से बचाने के लिए रिवर्स चार्ज की प्रक्रिया को 30 सितंबर 2019 तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
परन्तु आज भी भारत के नागरिको में जीएसटी रिवर्स चार्ज के बारे में जानने की उत्सुकता बहुत है, चूंकि जीएसटी रिवर्स चार्ज व्यापारियों के लिए एक समस्या बन गयी है। इसलिए आज हम बात करते है, जीएसटी रिवर्स चार्ज क्या है? इसे रिवर्स चार्ज क्यों कहते हैं? यह किन-किन स्थितियों में लागू होता है? रिवर्स चार्ज का भुगतान कैसे किया जाता है?
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
- 1. रिवर्स चार्ज का मतलब क्या है?
- 2. रिवर्स चार्ज में स्व चालान (बिल) क्या है?
- 3. रिवर्स चार्ज में जीएसटी में पंजीकरण किसे करना चाहिए?
- 4. जीएसटी में रिवर्स चार्ज कब और कहाँ लागू होता है?
- 4.1. जब पंजीकृत कारोबारी किसी अपंजीकृत कारोबारी से सामान खरीदता है
- 4.2. ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स की ओर से सेवा उपलब्ध कराने पर
- 4.3. सीबीईसी की ओर से निर्धारित कुछ विशेष वस्तुओं एवं सेवाओं के सौदों पर
- 4.4. अन्य सेवाएँ जिन पर रिवर्स चार्ज लागू होता हैं
- 4.5. रिवर्स चार्ज के तहत आईजीएसटी(IGST), सीजीएसटी(CGST) और एसजीएसटी(SGST)
- 5. रिवर्स चार्ज की क्या जरूरत है?
रिवर्स चार्ज का मतलब क्या है?
जीएसटी में रिवर्स चार्ज, उस स्थिति को कहते हैं जब सप्लायर (विक्रेता ) की जगह सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाला शख्स (क्रेता) टैक्स चुकाता है। रिवर्स चार्ज इसमें दो शब्द होते हैं, रिवर्स + चार्ज। जहाँ रिवर्स का अर्थ है, उल्टा तथा चार्ज का अर्थ है, लागत। इन शब्दों के अर्थों के मेल से समझ आता है, जीएसटी में कर संग्रह की सामान्य प्रक्रिया न होकर उल्टे तरीके से होने वाली प्रक्रिया को ही रिवर्स चार्ज कहते है।
सामान्य चार्ज प्रक्रिया
- सामान्य जीएसटी सिस्टम में टैक्स जमा करने की जिम्मेदारी अलग-अलग लोगों की होती है।
- जो व्यक्ति सामान खरीदता है, उसे जीएसटी टैक्स चुकाना पड़ता है। यह भुगतान वह उस दुकानदार या कारोबारी को करता है, जिस से सामान या वस्तु खरीदता है।
- जो व्यक्ति सामान खरीदता है, उसे क्रेता कहते है तथा जो सामान बेचता है, उसे विक्रेता कहते है।
- जिस व्यक्ति (विक्रेता) ने सामान बेचा है, उसे अपने ग्राहक (क्रेता) से जीएसटी वसूलकर रखनी होती है और फिर उसे सरकार के पास जमा कर देता है।
- सामान्य जीएसटी की प्रक्रिया को आसानी से समझने के लिए नीचे एक चित्र प्रस्तुत है।
जैसा की आप चित्र में देख सकते है, एक विक्रेता खरीदार को सामान और सेवाएं प्रदान करता है। बदले में, खरीदार विक्रेता को उसकी वस्तुओं और सेवाओं के लिए भुगतान करता है और उस मूल्य के साथ जीएसटी का भी भुगतान करता है और फिर विक्रेता जीएसटी एकत्र करता है और सरकार के पास जमा करता है। इस प्रकार की चार्ज प्रकिया को जीएसटी फॉरवर्ड चार्ज मैकेनिज्म कहा जाता है।
रिवर्स चार्ज प्रकिया
- रिवर्स प्रकिया के अंतर्गत जो भी क्रय-विक्रय होता है। वह हमेशा पंजीकृत क्रेता और बिना पंजीकृत विक्रेता के मध्य ही होता है।
- जीएसटी की रिवर्स प्रकिया के तहत जब व्यक्ति सामान खरीदता है, उस व्यक्ति के पास ही जीएसटी वसूलने का उत्तरदायी होता है, न की सामान बेचने वाले (विक्रेता) की। जबकि, सामान्य प्रक्रिया में यह जिम्मेदारी विक्रेता के पास होती है।
- सामान खरीदने वाला, सामान बेचने वाले से जीएसटी वसूलता है, और अपने पास अलग से रखता है।
- खरीदार विभिन्न विक्रेताओं से लिए गए अलग -अलग टैक्स को एकत्र कर के सरकार को जमा करता है।
- इस रिवर्स प्रक्रिया के तहत, सरकार को उन विक्रेताओं से कोई लेना-देना नहीं होता है, क्योंकि वे सरकार के कर नियमों से जुड़े नहीं होते है।
- रिवर्स प्रकिया के अनुसार खरीदार (क्रेता) को खुद का बिल बनाना होता है। जिसे सेल्फ इनवॉइस कहा जाता है।
- रिवर्स चार्ज को बेहतर समझने के लिए हमने आपके लिए एक चित्र प्रस्तुत किया है।
जैसा कि आप चित्र देखते हैं, खरीदार विक्रेता से माल और सेवा लेता है। और उसे वस्तुओं और सेवाओं की कीमत देता है। तब वह (खरीदार) वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी सरकार को जमा करता है।
एक लाइन में कहें तो, रिवर्स चार्ज एक वह प्रक्रिया है , जिसके अंतर्गत खरीदार को जीएसटी वसूलने व जमा करने की ज़िम्मेदारी होती है। सामान बेचने वाले पर यह ज़िम्मेदारी नहीं होती है। तथा यह प्रकिया पंजीकृत और अपंजीकृत व्यापारियों के मध्य ही होती है।
रिवर्स चार्ज का उदाहरण
- जब कोई बिना पंजीकृत किसान अपनी उपज को लेकर मंडी में जाता है।
- मंडी में किसान अपनी उपज को पंजीकृत व्यापारी को बेचता है।
- पंजीकृत व्यापारी उस किसान की उपज का पूर्ण भुगतान करता है।
- पूर्ण भुगतान का तात्पर्य है, की पूर्ण भुगतान अर्थाथ पंजीकृत व्यापारी को उपज के मुल्य से जीएसटी रिवर्स चार्ज़ के रूप अदा करने वाली राशि को कटना नहीं है।
- किसान की उपज पर बनने वाला रिवर्स टैक्स उस पंजीकृत व्यापारी को करना होता है, जो की बाद में व्यापरी के खाते में क्रेडिट हो जाते है।
- किसान का इस टैक्स से कोई लेना देना नहीं है, क्योकि किसान से सरकार से कोई सम्बन्ध नहीं है।
रिवर्स चार्ज में स्व चालान (बिल) क्या है?
स्व-चालान तब किया जाना चाहिए जब आपने किसी अपंजीकृत आपूर्तिकर्ता से खरीदा हो और ऐसी वस्तुओं या सेवाओं की खरीद रिवर्स चार्ज के अंतर्गत आती हो।
यह इस तथ्य के कारण है कि आपका आपूर्तिकर्ता आपके लिए जीएसटी-अनुरूप चालान जारी नहीं कर सकता है, और इस प्रकार आप उनकी ओर से करों का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी बन जाते हैं। इसलिए, इस मामले में, आत्म-चालान, आवश्यक हो जाता है।
रिवर्स चार्ज में जीएसटी में पंजीकरण किसे करना चाहिए?
- जीएसटी नियम के अनुसार जीएसटी में पंजीकरण करवाने की आवश्यकता उन व्यक्ति को होती है।
- जिनकी वार्षिक आय 40 लाख रुपये (उत्तर पूर्वी राज्यों में 20 लाख रुपये) से अधिक हो।
- जब कोई व्यक्ति जीएसटी नियम के अनुसार रिवर्स चार्ज के लिए जिम्मेदार होता है, तो उसे जीएसटी में पंजीकरण करवाना होता है।
- चाहे उस व्यक्ति की वार्षिक आय जीएसटी की छूट सीमा से कम क्यों न हो।
क्योकि जीएसटी के कुछ खास सौदे ऐसे होते है, जहाँ पर जीएसटी की रिवेर्स चार्ज की प्रक्रिया लगती है। जैसा की हम आपको बता चूका है और फिर ऐसी परिस्थति में उस व्यापारी को जीएसटी में पंजीकरण करवाना पड़ेगा। भले ही केवल वार्षिक आय जीएसटी नियमों की सीमा से कम हो। केवल उसे ही जीएसटी रिवर्स का लाभ मिलेगा। अन्यथा वह जीएसटी के रिवर्स चार्ज से वंचित हो जाएगा।
जीएसटी में रिवर्स चार्ज कब और कहाँ लागू होता है?
जैसा कि हम जानते हैं। जीएसटी के तहत सामानों के विक्रेता द्वारा आम तौर पर कर वसूला जाता है। लेकिन जीएसटी की एक प्रक्रिया जिसमें केवल सामान के खरीदार के पास सरकार के साथ जीएसटी जमा करने की जिम्मेदारी है। जबकि सामान्य प्रक्रिया में ऐसा नहीं होता है।
तो अब हम बात करते है। कुछ ऐसी ही परिस्थितिओ की जहाँ सीधा सेवा लेने वाले को ही जीएसटी सरकार को जमा करना होता है। जिसे जीएसटी रिवर्स चार्ज कहते है, जो की निम्नलिखित है :
1. जब पंजीकृत कारोबारी किसी अपंजीकृत कारोबारी से सामान खरीदता है
अगर कोई पंजीकृत कारोबारी किसी अपंजीकृत कारोबारी से सामान खरीदता है तो उस अपंजीकृत कारोबारी को जीएसटी का भुगतान नहीं करना पड़ता।बल्कि उस खरीदारी पर जितना जीएसटी बनता है पंजीकृत कारोबारी सीधा सरकार को भुगतान करेगा।
क्योकि अपंजीकृत कारोबारी जीएसटी का टैक्स नहीं भर सकता, क्योकि उसका जीएसटी में पंजीकरण नहीं है। इसलिए जीएसटी पंजीकृत कारोबारी पर रिवर्स चार्ज लगता है।
जीएसटी रिवर्स चार्ज के लिए पंजीकृत और अपंजीकृत कारोबारी के लेन-देन का उदाहरण :-
- गली-मोहल्लों में फेरी करने वाले कबाड़ी (लोहे या अन्य धातु के स्क्रैप इकट्ठे करने वाला )
- जब कबाड़ी अपना माल इकट्ठा कर पंजीकृत कबाड़ी या पंजीकृत व्यापारी को अपना माल बेचता है, तो इस स्थिति में जीएसटी नियम के अनुसार जीएसटी रिवर्स चार्ज लगता है।
- जीएसटी रिवर्स चार्ज की स्थिति में पंजीकृत कबाड़ी उस फेरी करने वाले अपंजीकृत कबाड़ी के माल को खरीद कर, उसके बदले में पूरा भुगतान करना है। तथा रिवर्स चार्ज के रूप में कर का भुगतान भी पंजीकृत कबाड़ी को ही करना होता है।
2. ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स की ओर से सेवा उपलब्ध कराने पर
जब कोई व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से व्यापार का संचालन करता है, तो उस व्यापार को ई-कॉमर्स या ई-व्यवसाय कहते है। और उस व्यक्ति को ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स कहा जाता है। ई-कॉमर्स व्यापार के अंतर्गत केवल खरीदना और बेचना ही नहीं बल्कि ग्राहकों के लिये सेवाएं और व्यापार के भागीदार भी आते है।आज के नए भारत में ऑनलाइन शॉपिंग नेटवर्क वाणिज्यिक गतिविधियों का एक बढ़ता प्रतिशत बन बनता जा रहा है इक्कीस् वीं सदी ने ऑनलाइन व्यापारों के लिए अवसर एवं प्रतिस्पर्धा का वातावरण प्रदान किया है। अनेक ऑनलाइन व्यापारिक कंपनियों की स्थापना हुई है।
आमतौर पर ई-कॉमर्स के रूप में जाना इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य, इंटरनेट जैसे कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग, उत्पादों या सेवाओं में कारोबार कर रहा है।।
- जब कोई सर्विस ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है।
- तो ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स पर रिवर्स जीएसटी का नियम लागू होता है।
- इसमें न तो सर्विस पाने वाला व्यक्ति सरकार को जीएसटी चुकाने का जिम्मेदार होता है और न ही सर्विस देने वाला व्यक्ति।
- बल्कि, ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स को ही जीएसटी का भुगतान करना होता है।
जीएसटी रिवर्स चार्ज के लिए ई-कॉमर्स ऑपरेटर का उदाहरण :-
अमेज़न (amazon) एक ऑनलाइन शॉपिंग माध्यम है, जब हम इसके द्वारा कोई शॉपिंग करते है तो अमेज़न हमको सेवा प्रदान करता है और हम उस सेवा के बदले उसकी सेवा भुगतान करते है लेकिन यहाँ पर हम जो भुगतान करते है। उसके अंतर्गत जीएसटी रिवर्स चार्ज टैक्स शामिल होता है इसीलिए इसमें लिए हम जो भुगतान करते है। जीएसटी रेवेर्स चार्ज के तहत आता है। क्योकि जीएसटी वह सेवा हमरे लिए किसी और अन्य कम्पनिया (Third-Party) से खरीदकर हमको प्रदान करता है। तो यहाँ पर अमेज़न जीएसटी रिवर्स चार्ज के तहत कार्य करता है।
3. सीबीईसी की ओर से निर्धारित कुछ विशेष वस्तुओं एवं सेवाओं के सौदों पर
- बिना छिले काजू की आपूर्ति, बीड़ी बनाने वाले पत्तों की आपूर्ति और तंबाकू के पत्तों की आपूर्ति आदि के लिए किसान की ओर से पंजीकृत कारोबारी को किए जाने पर।
- रेशम की आपूर्ति: कच्चे रेशम या रेशम के कोकून से रेशम बनाने वालों की ओर से पंजीकृत कारोबारी को किए जाने पर।
4. अन्य सेवाएँ जिन पर रिवर्स चार्ज लागू होता हैं
सीबीईसी (केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड) की ओर से निर्धारित कुछ विशेष ऐसी 12 सेवाए, जिन सेवाओं का उपयोग करने के लिए किये गए भुगतानो पर जीएसटी रिवर्स चार्ज जमा करना होता है। जो की निम्नलिखित है।
1. सेवाओं का आयात
जब किसी अन्य देश से किसी वस्तु या सेवा का का उपयोग करते है, या खरीदते है। तो इस स्थिति में जीएसटी रिवर्स चार्ज कार्य करता है। या जब कोई विदेशी नागरिक से किसी भी प्रकार का लेन-देन करते है, जीएसटी रिवर्स चार्ज लगता है
2. ट्रांसपोर्ट एजेंसी की सेवाएँ
जब भी कोई पंजीकृत व्यापारी अपने कच्चे माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए किसी माल ढोने वाली ट्रांसपोर्ट एजेंसी की सेवा का उपयोग करता है, तो इस स्थिति में बे भी पंजीकृत व्यापारी को जीएसटी रिवर्स चार्ज अदा करना होता है।
3. वकीलों द्वारा प्रदान की गई कानूनी सेवाएँ
जब कभी व्यापारी को अपने व्यापर की बढ़ोतरी लिए क़ानूनी सेवाओं की सहायता लेते है, तो इसके लिए कुछ क़ानूनी दस्तावेज तैयार करने होते है। दस्तावेज तैयार करने के लिए वकीलों की अवयस्कता होती है ,तो वकीलों द्वारा ली गयी सेवाएं के बदले भुगतान पर जीएसटी रिवर्स चार्ज अदा करना होता है।
4. बिजनेस एग्रीगेटर्स द्वारा दी सेवाएँ
जब कभी हमको एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए ओला (ola) या ऊबर (uber) आदि। की सेवाओं का उपयोग करते है। तो इसके लिए जीएसटी टैक्स चार्ज व सरकार को जमा करने की जिम्मेदारी कैब कम्पनियो की होती है।
5. निदेशक द्वारा कंपनी को प्रदान की गई सेवाएँ
कंपनी के प्रबंधकीय और सभी संगत पहलुओं से संबंधित क्रियाविधियां हैं। जैसे की कामकाज की जांच का आदेश देना और अधिनियम का उल्लंघन करने पर अदालती कार्रवाई करने की शक्तियां प्रदान करना तथा सरकारी निरीक्षण आदि के लिए की गयी निदेशक द्वारा कंपनी को प्रदान की गई सेवाएँ।
6. मध्यस्थता (पंचायत) द्वारा प्रदान की गई सेवाएँ
जिसमें बिना न्यायालय के किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप के माध्यम से अपने विवादों का निपटान करना, यह एक ऐसी विधि है जिसमें विवाद किसी नामित व्यक्ति के सामने रखा जाता है जो दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात अर्ध-न्यायिक तरीके से मसले का निर्णय करता हैं।तो इस रूप में मध्यस्थता (पंचायत) द्वारा प्रदान की गई सेवाएँ के बदले।
7. प्रायोजन सेवाएँ
जब किसी गैर सरकारी संस्थान के द्वारा गांव के विकास के लिए चलाये गए अधिवेशन जिसके तहत गांव का विकास एवं गांव के हित के कार्यो के लिए किसी संस्था द्वारा दी गयी धनराशि पर जो चार्ज लगता है, वह रिवर्स चार्ज के रूप में लगाया जाता है। ऐसी सेवाए प्रायोजन सेवाएँ कहलाती है।
जैसे – बाढ़ सूखे, भूकंप और औद्योगिक आपदाओं के शिकार लोग के लोगो को उनकी सुरक्षा के लिए किये गए गैर सरकारी संस्थान के द्वारा कार्य प्रायोजन सेवाएँ के तहत आते है।
8. सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा प्रदान की गई सेवाएँ
किसी गांव या शहर में सरकार के माध्यम से शुरू की गयी निशुल्क सेवा ,जैसे की-
- महिलाएं और बच्चे के लिए की गयी सेवा।
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य की सहयता के लिए।
- बड़ी आपदाओं से राहत के लिए चलायी गयी सेवा के लिए।
- हिंसा के लिए पुलिस सेवा प्रदान के लिए।
- विकलांग व्यक्तियो के लिए एक निश्चित रूप से उठाये गए कदम।
- हिरासरत में रखे गए लोग के लिए सुधारक केंद्र खुलवाना।
9. बीमा कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ
वह कंपनी जो बीमा कराती है, जो की किसी व्यक्ति के हानि या क्षति को बांटने को तैयार रहती है। बीमा कर्तव्यता द्वारा उस जोखिम के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान की जाती है। अर्थात जिसके बदले अनिश्चित हानियों को बीमा कम्पनी द्वारा मिलने वाली बीमा राशि के रूप में होता है। जिसमें कारखानों, गोदामों, कार्यालयों व अन्य सम्पत्तियों की अग्नि से सुरक्षा हेतु उपाय व बीमा किया जाते है।
10. वित्त कंपनी को दी जाने वाली सेवाएँ
वह कंपनियाँ जो प्रमुख व्यवसाय के रूप में कृषि प्रचालन, औद्योगिक गतिविधि, माल की खरीद और बिक्री, सेवाएँ प्रदान करती है, तो उन्हें सरकार की तरफ से ब्याज में छूट मिलती है। इसके बदले ली गयी सेवाओं पर रिवर्स चार्ज देना पड़ता है।
11. कॉपीराइट (गीत संगीत, फोटो चित्र बगैरह के मामलों में) का प्रयोग करने की अनुमति देने पर
जब पुराने गीतकार से पुराने गीत को नए रूप में दोबारा बनाने की अनुमति मांगने के बाद गीत को एक नए रूप में प्रकाशित किया जाता है। तो उस लेख से प्राप्त धनराशि का शुल्क लिया जाएगा। इसे जीएसटी के तहत रिवर्स चार्ज के रूप में लिया जाएगा।
12. विदेशी माल के आयात के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा के बदले भुगतान पर
जब किसी दूसरे देश में जाकर किसी वस्तु या सामान की खरीदारी करते है तो उस वस्तु को यह लाने पर ट्रांसपोर्ट कम्पनियो की सुविधा का उपयोग किया जाता है। इस सुविधा के उपयोग पर लगने वाला टैक्स, रिवर्स चार्ज के रूप में लिया जायेगा।
5. रिवर्स चार्ज के तहत आईजीएसटी(IGST), सीजीएसटी(CGST) और एसजीएसटी(SGST)
- जब दो अलग-अलग राज्यों के व्यापारियों के बीच कोई सौदा होता है तो इस पर सिर्फ एकीकृत जीएसटी (IGST) लगती है। यह जीएसटी CGST और SGST दोनों के योग के बराबर एक अकेला टैक्स होता है। इसे सिर्फ केंद्र सरकार को भुगतान करना होता है। हालांकि, केंद्र सरकार के पास जमा होने के बाद यह दो बराबर-बराबर भागों में केंद्र और उस राज्य सरकार को मिलता है।
- किसी दूसरे राज्य के अपंजीकृत व्यक्ति से माल या सेवा की खरीद करने वाले व्यापारी को सरकार के खाते में IGST जमा करना पड़ता है।
- अपने ही राज्य के अपंजीकरण व्यक्ति से माल या सेवा की खरीद करने वाले व्यापारी को सरकार के खाते में CGST (केंद्र का हिस्सा) और SGST (राज्य का हिस्सा) दोनों जमा करना पड़ता है।
इसको और बेहतर समझने के लिए हम एक उदहारण लेते है।
- माना नीरज आगरा (UP) का रहने वाला है। उसने अलीग़ढ (UP) में किसी थोक की दुकान से 1 लाख रुपए का माल खरीदता है जिस 12% GST लगती है, जोकि 12000 रुपए होते है। चूंकि अब उसका सौदा एक ही राज्य उत्तर प्रदेश में हुआ है। तो इस सौदे पर नीरज को जीएसटी नियम के तहत CGST और SGST दोनों के रूप में बराबर-बराबर 6-6 हजार रुपए चुकता करने होंगे।
- इसी तरह अगर नीरज 12 % GST साथ कोई सामान शिमला (Himachal Pradesh) से मंगवाता है। अब चूंकि उसका सौदा एकीकृत जीएसटी की श्रेणी में आता है। तो उसे इस पर 12000 रुपए इकट्ठा IGST के रूप में चुकाने होंगे।
रिवर्स चार्ज की क्या जरूरत है?
- रिवर्स चार्ज जैसी धारणा टैक्स की चोरी रोकने और करों का दायरा बढाने के उद्देश्य से बनाई गई है।
- जो दुकानदार या व्यक्ति जीएसटी में पंजीकृत नहीं हैं उनसे जीएसटी वसूल पाना तो संभव नहीं होता।
- ऐसे सौदों को टैक्स के दायरे में रखने और उन पर जीएसटी वसूलने के लिए जीएसटी चार्ज प्रणाली को विकसित किया गया है। और जीएसटी न भरने पर जुर्माना भी लगाया जायेगा।
- उन लोगो से भी टैक्स लिया जा सकता है, जिनका जीएसटी में पंजीकरण नहीं है।