उपहार (गिफ्ट) की कीमतों पर जीएसटी का प्रभाव?

जैसा की हम जानते है, की भारत देश में उपहारों का क्या महत्व है? भारत देश में उपहार को आज के व्यस्त समाज में एक-दूसरे के साथ आपसी प्यार और स्नेह को व्यक्त करने का आदर्श तरीका माना जाता है। तथा वे उपहार को आपसी विश्वास और बंधन का आधार मानते हैं और साथ ही यहाँ की विविध संस्कृति, रीति-रिवाजों और धर्मों के कारण यहाँ पर हर छोटी और बड़ी ख़ुशी के मौके पर उपहारों का आदान-प्रदान होता है। वास्तव में एक-दूसरे को उपहार देना प्यार और स्नेह का प्रतीक है और सामाजिक स्थिति का प्रतीक भी हो सकता है। तो आज के इस लेख में हम बात करेंगे की उपहार (गिफ्ट) क्या है? और उपहार पर जीएसटी का क्या प्रभाव है?

उपहार पर जीएसटी
उपहार पर जीएसटी

क्योकि सरकार ने कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में उपहार देने और प्राप्त करने पर कर लगाने के उद्देश्य से उपहार कर अधिनियम, 1958 (जीटीए) द्वारा विनियमित अप्रैल 1958 में उपहार कर की शुरुआत की।

हालांकि, कई बार उपहार भी कर नियोजन / कर चोरी का एक हिस्सा होता है। जबकि कानून के ढांचे के भीतर की गई कर योजना अनुमेय है, कर चोरी निषिद्ध है और ऐसा करने वाले को दंडित किया जा सकता है।

उपहार (गिफ्ट) क्या है?

किसी को प्रसन्न करने के लिए धन, वस्त्र या उसके काम या पसंद की वस्तु, जो बिना किसी अपेक्षा के प्रदान की जाती है, उपहार कहलाती है। उपहार मन की खुशी को प्रकट करने के लिए या किसी को सम्मानित करने के लिए भी दिए जाते हैं इनके बदले में किसी धन की अपेक्षा नहीं की जाती है। हांलांकि यह अपेक्षा अंतर्निहित हो सकती है कि जिसको उपहार दिया गया है वह अपना प्रेम और कृपा देने वाले पर बनाए रखेगा।

या कहे तो, उपहार किसी भी वस्तु या सेवा के कार्य को संदर्भित कर सकता है जो दूसरे को अधिक खुश या कम दुखी करता है, विशेष रूप से यह एक एहसान के रूप में दिया जाता है, जिसमें क्षमा, दया और किसी का प्यार और भाव (प्रेमी के प्रेमिका को देने पर) शामिल होती है। अधिकतर गिफ्ट्स जन्मदिन और छुट्टियों जैसे अवसरों पर सबसे पहले दिए जाते हैं। लेकिन एक हफ्ता ऐसा भी आता है, जो की पूरा गिफ्ट्स के आदान-प्रदान के लिए खुमार है या जाना जाता है, जिसे प्रेमी युगल प्यार के पर्व वैलेंटाइन डे के नाम से जानते है।

उदाहरण के लिए, पश्चिमी संस्कृतियों में, उपहारों को अक्सर रैपिंग पेपर में लपेटा जाता है और एक उपहार नोट के साथ होता है जो अवसर, प्राप्तकर्ता का नाम और दाता का नाम नोट कर सकता है। चीनी संस्कृति में, लाल कपड़े में लपेटना भाग्य को दर्शाता है।

उपहार आपके कर्मचारियों की सराहना करने, जन्मदिवस पर दिया गया उपहार या एक प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका को प्यार के पर्व वैलेंटाइन डे पर तोहफा देना एक शानदार तरीका है।

उपहार (तोहफा) देने के अवसर कब आते है?

जैसा हम जानते है, हमारा भारत देश एक घनिष्ठ बुना हुआ परिवारों का देश है और यहाँ की विविध संस्कृति, रीति-रिवाजों और धर्मों के कारण इसे मनाने के कई कारण हैं। कई बार ऐसे मौके आते हैं जहां उपहारों का आदान-प्रदान होता है। नीचे कुछ निम्नलिखित अवसर दिए गए है, जहा आप अपने किसी चाहने वाले को गिफ्ट दे सकते है, और उनको खुस कर सकते है।

उपहार देने के अवसर हो सकते हैं:

  • प्यार या दोस्ती की अभिव्यक्ति
  • प्राप्त उपहार के लिए आभार की अभिव्यक्ति।
  • दान की अभिव्यक्ति, दान के रूप में।
  • आपसी सहायता के रूप में एकजुटता की अभिव्यक्ति।
  • धन बांटने के लिए।
  • दुर्भाग्य को दूर करने के लिए।
  • यात्रा स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए।

रिवाज के अनुसार इन अवसरों पर (अक्सर समारोह) जैसे,

  • एक जन्मदिन (वह व्यक्ति जिसके पास उसका जन्मदिन है वह केक देता है, आदि और / या एक उपहार प्राप्त करता है)।
  • एक कुम्हार, उन समाजों में जहाँ स्थिति अधिग्रहण के बजाय उपहार देने से संबंधित है।
  • क्रिसमस (क्रिसमस उपहार देने के इतिहास के दौरान, लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं, अक्सर दावा करते हैं कि उन्हें सांता क्लॉज़, क्राइस्ट चाइल्ड या सेंट निकोलस द्वारा छोड़ दिया गया है)।
  • सेंट निकोलस का पर्व (लोग एक दूसरे को उपहार देते हैं, अक्सर उन्हें संत निकोलस से प्राप्त करते हैं)।
  • ग्रीस में ग्रीक रूढ़िवादी ईसाई सेंट बेसिल की दावत पर परिवार और दोस्तों को उपहार देंगे।
  • मुस्लिम परिवार और दोस्तों को ईद उल-फ़ित्र (रमजान का अंत) और ईद उल-अज़हा को ईद के नाम पर उपहार देते हैं।
  • अमेरिकी यहूदी परिवार और दोस्तों को हनुका उपहार देते हैं।
  • हिंदुओं ने परिवार और दोस्तों को दिवाली और पोंगल गिफ्ट किया।
  • बौद्ध परिवार और दोस्तों को वेसाक उपहार देते हैं।
  • एक शादी (जोड़े को उपहार मिलते हैं और शादी के रिसेप्शन पर भोजन और या शैम्पेन देते हैं)।
  • एक सालगिरह (प्रत्येक पति या पत्नी एक उपहार प्राप्त करता है)।
  • एक अंतिम संस्कार (आगंतुक फूल लाते हैं, मृतक के रिश्तेदार समारोह के बाद भोजन और या शैम्पेन देते हैं)।
  • एक परीक्षा पास करना (छात्र को एक उपहार प्राप्त होता है)।
  • फादर्स डे (पिता को उपहार मिलते हैं)।
  • मातृ दिवस (माँ उपहार प्राप्त करता है)।
  • भाई का दिन (भाई को उपहार मिलता है)
  • अभिवादन उपहार
  • सगाई का उपहार
  • घर का बना पार्टी उपहार
  • महिला दिवस उपहार

50,000 रुपये से महंगे तोहफे पर देना होगा जीएसटी

देश में सभी अप्रत्‍यक्ष करों की जगह जीएसटी की चार दरें (5, 12, 18 और 28 प्रतिशत) तय की गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सरकार कॉर्पोरट जगत के सीनियर अधिकारियों को मिलने वाले अतिरिक्‍त लाभ और गिफ्ट्स पर जीएसटी लग सकता है। कंपनियां इन पर इनपुट टैक्‍स क्रेडिट का दावा कर सकती हैं। और इन सभी खरीदारियों का ब्‍योरा जीएसटी नेटवर्क की वेबसाइट पर मौजूद रहेगा।

जीएसटी लागू होने से पहले ऐसी सुविधाओं और सेवाओं पर कंपनियों को केवल 12-14 प्रतिशत वैट देना होता था लेकिन अब उन्हें 29-43 प्रतिशत टैक्स देना होगा। इसके अलावा कंपनियों के लिए सीनियर अधिकारियों को दिए जाने वाली अतिरिक्त सुविधाओं और उपहारों का हिसाब भी रखना होगा।

केंद्र सरकार ने तोहफों पर जीएसटी की स्थिति को स्पष्ट किया है, कि कंपनी की ओर से किसी कर्मचारी को दिए गए 50,000 तक के गिफ्ट पर जीएसटी नहीं लगेगा, इसमें क्लब की फ्री मेंबरशिप और हेल्थ एवं फिटनेस सेंटर भी शामिल हैं। हालांकि 50,000 रुपए से अधिक कीमत के उपहारों पर कर्मचारियों को जीएसटी का भुगतान करना होगा।

सरकार ने कहा कि अगर नियोक्ता की ओर से अपने कर्मचारी को कोई ऐसी सेवा प्रदान की जाती है जो कि उसके रोजगार से संबंधित है, वह अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के दायरे से बाहर रहेगी। यानी किसी कंपनी की ओर से अपने कर्मचारियों को उपलब्ध करवाई गई किसी क्लब या हेल्थ एंड फिटनेस सेंटर की मेंबरशिप पर जीएसटी लागू नहीं होगा। वहीं अगर कंपनी अपने कर्मचारी को फ्री हाउसिंग की सुविधा उपलब्ध करवाती है जो कि उसके सीटीसी का हिस्सा है तो उस पर भी जीएसटी लागू नहीं होगा।

जीएसटी के तहत आने वाले उपहार (तोहफे)

जीएसटी कानून विशेष रूप से उपहार शब्द को परिभाषित नहीं करता है, और सरकार ने भी कुछ स्पष्टीकरण प्रदान करने के लिए एक प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित की, जिसके अनुसार उपहार आमतौर पर कुछ भी हो सकते हैं जो की आप कर्मचारियों को, अपने किसी मिलने वालो, किसी को बर्थडे गिफ्ट देना या एक प्रेमी द्वारा अपने साथी को दिया उपहार, बदले में कुछ उम्मीद किए बिना देते हैं।

उन्हें स्वेच्छा से और समय पर दिया जाता है। कर्मचारी या अन्य कोई उपहार की मांग नहीं कर सकता हैं या जीएसटी कानून के तहत आने के लिए आपको अदालत में उपहार देने के लिए मजबूर नहीं कर सकती हैं।

1. जीएसटी कर के अंतर्गत कौन से उपहार नहीं आते हैं?

वस्तु एवं सेवा कर के तहत, कुछ वस्तुएं हैं जिन्हें उपहार के रूप में नहीं माना जाता है। ऐसी वस्तुओं को एक ही नियम के तहत कवर नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए, हेल्थ क्लब को सदस्यता प्रदान करने वाले कर्मचारी जीएसटी के अधीन नहीं हैं। वही आपके सभी कर्मचारियों के लिए किसी भी अन्य सेवा को निःशुल्क प्रदान करने के लिए जाता है। इस मामले में, सरकार मानती है कि आपने इन सेवाओं को खरीदने के लिए पहले ही जीएसटी का भुगतान कर दिया है।

यदि आपकी कंपनी अपने अनुबंधों में कर्मचारियों को अनुलाभ प्रदान करती है, तो ऐसे प्रस्तावों को उपहार नहीं माना जाता है। इसलिए, वे जीएसटी के अधीन नहीं हैं। इसका मतलब है कि यदि आप अपने श्रमिकों को या प्रेमिका मुफ्त आवास या कोई गिफ्ट प्रदान करते हैं, और यह व्यवस्था रोजगार अनुबंध में रखी गई है, तो आपको जीएसटी का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। फिर, यह मान लिया जाता है कि जब आप उत्पाद या सेवा प्राप्त करते हैं तो आप जीएसटी का भुगतान करते हैं।

जीएसटी कानून विशेष रूप से उन सेवाओं को कॉल करता है जो आपके कर्मचारी आपकी कंपनी प्रदान करते हैं। कानून के संदर्भ में, इस काम को माल या सेवा नहीं माना जाता है, इसलिए यह जीएसटी शासन के बाहर है।

2. जीएसटी कर के अंतर्गत कौन से उपहार आते हैं?

आपको ऐसे उपहारों पर जीएसटी का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है जिनका भुगतान 50,000 रूपए या उससे कम मूल्य के हैं। उदाहरण से समझते है, माना यह कुल प्रत्येक कर्मचारी पर लागू होता है। तो, आप 11 कर्मचारियों को कर का भुगतान किए बिना 11,000 मूल्य के उपहार दे सकते हैं। जब आपके उपहार प्रति कर्मचारी प्रति वर्ष 50,000 या इससे अधिक मूल्य के होते हैं, तो आपको जीएसटी का भुगतान करना शुरू करना होगा। यह नियम आपके द्वारा दिए गए उपहारों के लिए सही है जबकि कर्मचारी आपकी कंपनी के लिए काम कर रहा है।

एक छोटे व्यवसाय के स्वामी के रूप में, उपहार एक सकारात्मक कंपनी संस्कृति बनाने का एक तरीका है। अपने खर्चों के शीर्ष पर रहकर, आप अपने कर्मचारियों को बिना जीएसटी बिल के अप्रत्याशित रूप से खुश रख सकते हैं।

वैलेंटाइन डे गिफ्ट्स पर जीएसटी का प्रभाव

पीएम मोदी के जीएसटी का बुरा असर प्रेमी युगलों पर भी दिखाई दे रहा है। शहर में महंगाई के कारण वैलेंटाइन डे उपकार (गिफ्ट्स) और कार्ड्स की बिक्री पिछले साल की तुलना में करीब 50 फीसदी कम बतायी जा रही है। उम्मीद के मुताबिक बिज़नेस ना होने के कारण दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्यार के पर्व वैलेंटाइन डे पर जीएसटी की मार के कारण प्रेमी अपने प्रेमिका को महंगे तोहफों के बजाय कम बजट के तोहफे खरीदकर दे रहे हैं।

बाजार में जिन दुकानदारों ने इस प्यार के पर्व को लेकर ख़ास तैयारी कर रखी थी। उन्हें उम्मीद थी कि 7 फरवरी की शाम रोज डे से और 14 फरवरी की सुबह से अच्छी दुकानदारी होगी लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा है।

गिफ्ट की खरीद में कमी

वैलेंटाइन डे, इसे प्रेमी युगल प्यार के पर्व के नाम से जानते है, इन दिनों को सभी नव युवक प्रेमी कपल अपने विपरीत प्रेमी को अपने अंदाज़ और गिफ्ट के आदान-प्रदान से अपना प्यार दर्शाते है, उन इस पुरे हफ्ते में अपने प्रेमी को एक प्यारा-सा प्यार भरा गिफ्ट देते है, जिसे वह उनकी याद में बना रहे, परन्तु जीएसटी का प्रभाव नव प्रेमी जोड़े पर दिख रह है, क्योकि गिफ्टों पर जीएसटी लगने से महंगाई बढ़ गयी । इस बार प्यार के इस पर्व पर गिफ्ट शॉप पर वैसी डिमांड नहीं दिख रही जैसी पिछले साल थी। जिससे दुकानदार खासा परेशान है।

बताया जा रहा है इस बार जीएसटी के कारण टेडी और गिफ्ट के दाम बढ़े हैं जिसके कारण लोग अपनी पॉकेट के बजट को कंट्रोल में रखने के लिए बड़े गिफ्ट्स की बजाय छोटे गिफ्ट खरीदकर ही काम चला रहे हैं।

टेडी डे पर रेड टेडी की डिमांड में कमी

वैलेंटाइन डे पर रेड टेडी की खासी डिमांड होती है। खासकर बड़ी टेडी लेकिन अब इसे जीएसटी का प्रभाव कहें या बढ़ती महंगाई की मार। इस बार प्यार के इस पर्व पर रेड टेडी की वैसी डिमांड नहीं दिख रही जैसी पिछले साल थी। प्रेमी अपने प्रेमिका को देने के लिए अब छोटे टेडी ही खरीकर उन्हें उपहार में भेंट कर रहे हैं जिससे दुकानदार खासा परेशान है।

वैलेंटाइन कार्ड का भी बुरा हाल

टेडी ही नहीं बल्कि वैलेंटाइन कार्ड का हाल भी कुछ ऐसा ही है। बाजार में इस साल कार्ड की बिक्री काम हुई है जो पिछले साल की अपेक्षा से 50 फीसदी कम है। बाजार में सिर्फ काम रेंज के और छोटे कार्ड की डिमांड है। कार्ड के अलावा गिफ्ट और चॉकलेट जैसे आइटम्स का हाल भी कुछ ऐसा ही है कुल मिलकर कहे तो वैलेंटाइन डे पर जीएसटी की मार दिखाई दे रही है।

रेस्टोरेंट और होटलो में खाने पर जीएसटी की मार

वैलेंटाइन डे पर जैसे रेड टेडी की खासी डिमांड होती है। ठीक वैसे ही रेस्टोरेंट और होटलो पर प्रेमी युगलो की खासी भीड़ हुआ करती थी। क्योकि प्रेमी और प्रेमिका दोनों को एक साथ पल बीतना अच्छा लगता है, और वह साथ में एक दूजे को खाना खिलते है और उन पर अपना प्यार जताते है।

लेकिन जीएसटी का प्रभाव कहें या बढ़ती महंगाई की मार। इस बार प्यार के इस पर्व पर रेस्टोरेंट और होटलो में इतने प्रेमी युगल दिख नहीं रहे जैसी पिछले साल थे। प्रेमी अपने प्रेमिका डिनर या कुछ खिलाने के लिए ठेले या कोई छोटी और अच्छी दुकानों पर जाना पसंद कर रहे है जिससे रेस्टोरेंट और होटल वालो को नुकसान हो रहा है।

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