जैसा की हम जानते है, जब से भारत में जीएसटी लागू हुआ है तब से हर भारत नागरिक को अपने कारोबार से सम्बंधित जानकारी सरकार को देनी होती है। एवं गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के अंतर्गत यदि हम कोई भी कारोबार करते है तो उस कारोबार में जीएसटी की गणना कैसे कर सकते है? तथा यह क्या होती है? जीएसटी में कुल कारोबार का अर्थ है सभी कर योग्य आपूर्ति (आवक आपूर्ति के मूल्य को छोड़कर, जिस पर कर किसी व्यक्ति द्वारा रिवर्स चार्ज आधार पर देय है), छूट की आपूर्ति, माल या सेवाओं का निर्यात या दोनों और अंतर- समान स्थायी खाता संख्या वाले व्यक्तियों की राज्य आपूर्ति, अखिल भारतीय आधार पर गणना की जाती है, लेकिन इसमें केंद्रीय कर, राज्य कर, संघ राज्य कर, एकीकृत कर और उपकर शामिल नहीं हैं।
इसीलिए आज के इस लेख में हम जानेंगे की जीएसटी में कुल कारोबार की गणना कैसे करें? इसका मतलब क्या होता है? अथवा साथ ही जानेंगे की सकल कारोबार का उदेश्य और आवश्यकता के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
- 1. जीएसटी में कुल कारोबार का मतलब?
- 2. जीएसटी में कुल कारोबार का उद्देश्य?
- 3. जीएसटी में कुल कारोबार के तहत विशेष श्रेणी के राज्य?
- 4. वस्तु एवं सेवा कर के तहत कुल कारोबार की गणना कैसे करें?
- 5. जीएसटी में कुल कारोबार के तहत सम्मलित न होने वाले शुल्क?
- 6. जीएसटी में कुल कारोबार विभिन्न स्थितियों को कैसे प्रभावित करता हैं?
- 7. कितना कारोबार जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक होता है?
जीएसटी में कुल कारोबार का मतलब?
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के खंड 2 (6) के अनुसार, कुल कारोबार का अर्थ है सभी कर योग्य आपूर्ति जैसे की आवक आपूर्ति के मूल्य को छोड़कर, जिस पर किसी व्यक्ति द्वारा रिवर्स चार्ज के आधार पर कर का भुगतान किया जाता है। कुल कारोबार के तहत निर्यात वस्तुओं या सेवाओं या एक ही स्थायी खाता संख्या वाले सभी व्यक्तियों की अंतर-राज्य आपूर्ति की गणना भारत देश के आधार पर की जानी चाहिए, लेकिन केंद्रीय कर, राज्य कर, संघ राज्य कर, एकीकृत कर और बहिष्करण करना अत्यंत आवश्यक होता है।
सकल कारोबार एक महत्वपूर्ण शब्द है जो जीएसटी पंजीकरण की आवश्यकता को निर्धारित करता है। सामान्य व्यवसाय में व्यापार एक अवधि में एक व्यापार का मूल्य होता है। वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत जीएसटी में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति, वस्तुओं और सेवाओं की छूट, वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और अंतर-राज्य आपूर्ति के कर योग्य मूल्य के रूप में वर्णित किया जा सकता है। इसलिए, जीएसटी के लिए कुल व्यापार में वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति, जीएसटी से छूट और निर्यात शामिल हैं।
जीएसटी में कुल कारोबार का उद्देश्य?
आपको पता है की जीएसटी में सकल कारोबार का लक्ष्य, वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत पंजीकरण करने के लिए मुख्य आवश्यकता व्यापारी के कुल कारोबार पर निर्भर करती है। जीएसटी के कानूनों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 20 लाख तक के किसी भी टर्नओवर को वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली से पूरी तरह से छूट दी जाएगी।
लेकिन वर्तमान में भारत सरकार ने 32 वी जीएसटी परिषद (काउंसिल) बैठक के तहत कुल कारोबार बढ़ाकर 40 लाख तक कर दिया गया है। अथवा विशेष श्रेणी वाले राज्यों के लिए पहले गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स पंजीकरण के लिए 10 लाख कुल कारोबार रखा गया था। जोकि वर्तमान में उसे बढ़ाकर 20 लाख तक कर दिया है। केवल “जम्मू-कश्मीर” राज्य को छोड़कर, जिसे कि पंजीकरण से पूरी तरह से छूट प्राप्त है। कुल कारोबार की गणना संबंधित व्यक्ति की सभी संस्थाओं द्वारा भारत के आधार पर की जाने वाली गतिविधियों के संबंध में मूल्य के आधार पर की जाती है।
जीएसटी में कुल कारोबार के तहत विशेष श्रेणी के राज्य?
जीएसटी में सकल कारोबार के तहत विशेष श्रेणी के राज्यों की संख्या ग्यारह है। इन राज्यों के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित विशेष श्रेणी का दर्जा दिया जाता है। नीचे उन राज्यों की सूची दी गई है जिन्हें माल और सेवा कर कानून में कुल व्यापार के तहत विशेष दर्जा दिया गया है। एक-एक करके उनको देखते है।
- अरुणाचल प्रदेश
- असम
- जम्मू और कश्मीर (पूरी तरह से छूट)
- मणिपुर
- मेघालय
- मिजोरम
- नगालैंड
- सिक्किम
- त्रिपुरा
- हिमाचल प्रदेश
- उत्तराखंड
ऊपर दर्शाये गए इन ग्यारह राज्यों के लिए कम्पोजीशन स्कीम के तहत पात्रता निर्धारित करने के लिए समग्र व्यवसाय भी बहुत महत्वपूर्ण होते है।
वस्तु एवं सेवा कर के तहत कुल कारोबार की गणना कैसे करें?
वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत जीएसटी में कुल कारोबार की गणना करने के लिए आपको इसके लिए सभी व्यक्तियों की कीमत जैसे की (कर योग्य आपूर्ति + छूट वाली आपूर्ति + निर्यात + अंतर-राज्यीय आपूर्ति) का मूल्य माइनस – (कर + आवक आपूर्ति का मूल्य + एक ही पैन नंबर वाले व्यक्ति का रिवर्स चार्ज + गैर-कर योग्य आपूर्ति के तहत कर योग्य आपूर्ति का मूल्य) अथवा भारत में उसकी सभी व्यावसायिक संस्थाओं में खाता संख्या होनी अनिवार्य रूप से है। नीचे जानिए की जीएसटी में सकल कारोबार की गणना करने के लिए निम्न प्रकार के तथ्यों के बारे में, एक-एक करके जानते है।
1. जीएसटी में सकल कारोबार की गणना से सभी करों का बहिष्कार (देश-निकाला)?
जीएसटी में कुल कारोबार की गणना से सभी करों का बहिष्कार या देश-निकाला कुल कारोबार की गणना हेतु बहिष्करण तत्व निम्न है :-
- केंद्रीय कर
- राज्य कर
- संघ राज्य कर
- एकीकृत कर
- और क्षतिपूर्ति उपकर
ऊपर दिए गए जैसे तत्व शामिल होते है। इसलिए, जीएसटी में सकल कारोबार की गणना करते समय, हमें लागू विभिन्न प्रावधानों के तहत पात्रता की जांच के लिए कर तत्व को बाहर करना चाहिए।
2. जीएसटी में सकल कारोबार की गणना के महत्वपूर्ण परिणाम?
आपने ऊपर जीएसटी के तहत कुल व्यापार की गणना करते समय जाना की इसमें कुछ जरुरी परिणाम निकल कर सामने आये है। उन्ही जरुरी परिणामों को एक-एक करके आप नीचे देख सकते है।
- निर्यात की गई वस्तुओं का मूल्य या भारत के बाहर प्रदान की गई सेवाओं का मूल्य, या दोनों।
- रियायती वस्तुओं के मूल्य का समावेश या प्रदान की गई सेवाओं का मूल्य, या दोनों।
- व्यक्ति का समर्थन करने वाला पैन नंबर के बीच अंतर-राज्य आपूर्ति को “सकल कारोबार” में जोड़ देगा।
- अखिल भारतीय आधार पर की जाने वाली गतिविधियों के संबंध में मूल्य को एक साथ लेकर कुल कारोबार की गणना की जानी है।
जीएसटी में कुल कारोबार के तहत सम्मलित न होने वाले शुल्क?
वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत जीएसटी में कुल कारोबार की गणना करने के समय नीचे दिए गए शुल्कों को बाहर रखा जाना चाहिए। एक-एक करके इनके बारे में जानने की कोशिश करते है।
- सीजीएसटी, एसजीएसटी या आईजीएसटी अधिनियमों के संबंध में आने वाले कर।
- रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म पर देय करों का मूल्य।
- माल और सेवाओं की आवक आपूर्ति का मूल्य।
- माल या सेवाओं जैसे शराब, पेट्रोल आदि की गैर-कर योग्य आपूर्ति का मूल्य।
जीएसटी में कुल कारोबार विभिन्न स्थितियों को कैसे प्रभावित करता हैं?
अनुमान है कि जीएसटी ने भारत में करदाता आधार का विस्तार किया है। क्योकि कुल व्यवसाय की अवधारणा उन व्यवसायों को भी आकर्षित कर सकती है जो पंजीकरण के लिए आवश्यक नहीं हो सकते हैं। यह कुछ समय के लिए एक चिंता का विषय है, हालांकि, सरकार मौजूदा प्रावधानों में बहुत से बदलाव कर चुकी है। लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि केवल पंजीकरण से, छूट वाले व्यवसायों को करों का भुगतान अथवा जुर्माना नहीं भरना होगा। किन्तु जीएसटी के तहत पंजीकरण का मतलब होगा कि उन्हें अनिवार्य रिटर्न दाखिल करना होगा और अन्य सभी कानूनों का अनुपालन करना होगा।
वस्तु एवं सेवा कर कानून जीएसटी के तहत छोटे व्यवसायों का निरीक्षण और पंजीकरण करने का अधिकार देता है। यह निश्चित रूप से लघु अवधि में छोटे व्यवसाय के लिए अनुपालन की लागत में वृद्धि करता है। इस प्रकार एकत्र किए गए डेटा से सरकार को भविष्य में छोटे व्यवसायों के लिए बेहतर नीतियों के साथ आने में मदद मिल सकती है।
कितना कारोबार जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक होता है?
आपको पता लग गया होगा की वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत पंजीकरण करने के लिये कारोबार की तय सीमा को मौजूदा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 40 लाख रुपये कर दिया गया है। यह सीमा कंपाउंडिंग योजना के तहत बढ़ायी गयी है। इसके अंतर्गत आने वाले करदाताओं के लिए भी कुल कारोबार की अधिकतम सीमा एक करोड़ रूपये से बढ़ा कर 1.5 करोड़ रूपये कर दी गई है तथा उन्हें त्रैमासिक विवरणी के स्थान पर वार्षिक विवरणी दाखिल करने की सुविधा प्रदान की गई है। तथा 50 लाख रूपये तक सालाना कारोबार करने वाले सेवा प्रदाता को भी इस योजना का लाभ दिये जाने का निर्णय लिया गया है।