यदि आप ट्रांसपोर्ट व्यवसाय करते हैं या ट्रांसपोर्टर के माध्यम से अपने माल को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जा रहे हैं, तो ध्यान से देखें कि हम आपको क्या बताने जा रहे हैं अन्यथा आप मुसीबत में पड़ सकते है। वास्तव में, वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली लागू होने के बाद, माल के परिवहन के लिए एक विशिष्ट आईडी की आवश्यकता होगी। अगर आप बिना यूनिक आईडी के माल ले जाते हैं, तो उसे जब्त कर लिया जाएगा। यह यूनिक आईडी मालगाड़ी के चालक के पास होनी चाहिए। ऐसी ही कुछ बातो को हम इस लेख में बताने जा रहे है। जैसे की, ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन जरुरी है की नहीं? परमिट न होने पर ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी? माल के तहत ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी? आदि जैसी महत्वपूर्ण बातो को इस लेख के अनुसार, आपको बताने की कोशिश करंगे। चलिए शुरू करते है !
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
- 1. परमिट न होने की स्थिति में ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी?
- 2. परमिट होने की स्थिति में ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी?
- 3. माल के तहत ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी?
- 4. क्या ट्रांसपोर्टरों को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन आवश्यक है?
- 5. जीएसटी नियम तोड़ने पर परिवहन पर जीएसटी?
- 6. जल ट्रांसपोटेशन (परिवहन) के लिए जीएसटी?
- 7. क्या ट्रांसपोर्टर के रूप में परिवहन सेवाओं से संबंधित रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता है?
परमिट न होने की स्थिति में ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी?
यदि ट्रांसपोर्टर को उस राज्य में माल ले जाना है जहां उसके पास परमिट नहीं है, तो उसे न केवल किसी अन्य राज्य से परमिट के साथ ट्रांसपोर्टर ढूंढना होगा, बल्कि माल को दूसरे वाहन में लोड करते ही आईडी भी बदलनी होगी। क्योंकि यूनिक आईडी में सामान की डिटेल जैसी जानकारी भी होगी। यही नहीं, अगर आपकी गाडी भी ख़राब हो जाती है, तो उसके तहत भी यूनिक आईडी बदलनी होगी या डिटेल बदलनी होगी। यह एक अद्वितीय आईडी ट्रांसपोर्टर एक खेप उत्पन्न कर सकता है।
परमिट होने की स्थिति में ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी?
विशेषज्ञों के अनुसार, नई प्रणाली (जीएसटी योजना) के तहत, वे ट्रांसपोर्टर जिनके पास अखिल भारतीय परमिट हैं, वे लाभ में होंगे। दूसरी ओर, यदि सभी भारत एक चयनित राज्य से परमिट के साथ परमिट पर जाते हैं, तो उन्हें परिवहन विभाग को एक बड़ी राशि का भुगतान करना होगा। कुल मिलाकर, जीएसटी युग में, एक अद्वितीय आईडी के बिना माल परिवहन करना संभव नहीं होगा। क्योंकि हर परिवहन अधिकारी के पास एक विशेष उपकरण होगा। इसमें एक यूनिक आईडी डालने पर सामान और वाहन का पूरा ब्योरा आ जाएगा। इस तरह, इस उपकरण की मदद से, अधिकारी यह जांच सकते हैं कि परिवहन किए जा रहे सामान पर कर का भुगतान किया गया है या नहीं। ऑल इंडिया परमिट वाले ट्रांसपोर्टर्स को जीएसटी के युग में लाभ होगा, लेकिन राज्य के परमिट वाले लोग पीड़ित हो सकते हैं।
माल के तहत ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी?
वायु, रेल, सड़क और अंतर्देशीय जलमार्ग द्वारा किए गए माल का परिवहन जीएसटी लागू होने पर परिवहन पर लागू होता है। लेकिन कुछ वस्तुएं ऐसी भी होती है जिनके लिए ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी से छूट प्राप्त होती है। निम्नलिखित कुछ प्रमुख वस्तुएं हैं जिन्हें परिवहन पर जीएसटी से छूट प्राप्त है। नीचे एक-एक करके इन सभी के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते है।
1. अचानक आपदा आने पर
अगर किसी भी छेत्र में अचानक आई हुई आपदा, मानव निर्मित / प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना आदि के पीड़ितों के लिए निर्दिष्ट राहत सामग्री (माल) को परिवहन (वायु, रेल, सड़क और अंतर्देशीय जलमार्ग) की सहायता से पहुंचाया जाता है। तो ऐसी स्थिति में माल के तहत ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी के तहत छूट रहेगी। अर्थात उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
2. खाने योग्य वस्तुओं के तहत
भारत में वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत आने वाली कुछ वस्तुएँ ऐसी भी होती है। जिनपर जीएसटी कानून लागू नहीं होता है। तो अगर इस स्थिति में अगर वह वस्तु परिवहन के जरिये किसी भी छेत्र में लायी जाती है, तो ऐसी स्थिति में खाने योग्य वस्तु पर परिवहन पर जीएसटी पर छूट प्राप्त होती है।
दूध, नमक, खाद्यान जिसमें आटा, दाल और चावल की ढुलाई करने वाले ट्रांसपोर्टर, जहां पर पूरे ट्रक का माल भाड़ा 1500 रुपए से कम या अकेले व्यक्ति का माल भाड़ा 750 रुपए से कम है को पहले ही जीएसटी के दायरे से मुक्त रखा गया है। नीचे दर्शाई गयी निम्न वस्तुओं पर ट्रांसपोर्टर पर जीएसटी पर छूट प्राप्त है – जैसे की :-
- दालें
- दूध
- नमक
- आटा
- चावल
- और अन्य खाद्यान्न।
3. कृषि उत्पादों के लिए
भारत में आपने देखा होगा की, गाओं में किसान अपने खेतो के लिए बाहर से जैविक खाद अथवा कीटनाशक जैसी वस्तुओं को ट्रांसपोर्ट के जरिये अपने खेतो के लिए मंगवाते है। तो ऐसी स्थिति में जीएसटी परिषद के द्वारा लिया गया निर्णय बिलकुल सही है, जिस जीएसटी परिषद नियम के अनुसार कृषि उपज, उत्पाद और जैविक खाद जैसी वस्तुओं को परिवहन में लाने पर किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लगेगा। अर्थात उस पर जीएसटी कानून लागू नहीं होगा।
4. घरेलू सामान पर
अन रजिस्टर्ड प्रोपराइटरशिप अथवा हिंदु अनडिवाइडेड फैमिली (एचयूएफ) के लिए काम करने या घरेलू सामान के माल भाड़े पर परिवहन को 5 फीसदी टैक्स देना होगा। जीएसटी परिषद नियम के अनुसार, अन रजिस्टर्ड ट्रांसपोर्टरों को जीएसटी में अपनी अलग से एनरोलमेंट करवानी होगी, जिसके लिए उन्हें फार्म जीएसटी ईएनआर 01 भर कर देना होगा। अन रजिस्टर्ड होने के बावजूद ट्रांसपोर्टर को ट्रांसपोर्ट किए जाने वाले माल का पूरा ब्यौरा रखना होगा और कंसाइनमेंट नोट काटना होगा।
क्या ट्रांसपोर्टरों को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन आवश्यक है?
ट्रांसपोर्ट व्यापारी जीएसटी के दायरे में नहीं आते क्योंकि वे न तो माल बनाते हैं और न ही सामान बेचते हैं। जीएसटी केवल उन लोगों पर लागू होता है जो निर्माता और विक्रेता हैं। सरकार ने स्वयं ट्रांसपोर्ट को इससे बाहर रखा है। इसलिए, किसी भी परिवहन को पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है।
लेकिन, जीएसटी काउंसिल के 19 जून 2017 के नोटिफिकेशन के मुताबिक यदि कोई ट्रांसपोर्टर सिर्फ जीएसटी रजिस्टर्ड व्यक्ति के ही माल की ढुलाई करता है तो उसे रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है, लेकिन अन-रजिस्टर्ड फर्मों की माल ढुलाई करने वाले परिवहन की माल-भाड़े की सालाना टर्नओवर 20 लाख से अधिक होने पर रजिस्ट्रेशन करवा कर 5 फीसदी टैक्स भी भरना होगा।
जीएसटी नियम तोड़ने से परिवहन पर जीएसटी?
जीएसटी की धाराओं का उल्लंघन करने और बिना बिल का माल ले जाने पर परिवहन को बनते टैक्स एमाउंट के बराबर पैनलटी चुकानी होगी। माल की ढुलाई अथवा ट्रांसपोर्ट के साथ जुड़े इसे जो लोग जानते होंगे कि माल पर टैक्स चोरी की गई है, तो उन्हें भी 25 हजार रुपए प्रति केस के हिसाब से पैनलटी लगेगी।
यदि बिना बिल के माल पकड़े जाने पर अगर मालिक सामने नहीं आता तो ट्रांसपोर्टर को माल की कीमत का 50 फीसदी और टैक्स मुक्त होने पर माल की कीमत के 5 फीसदी के बराबर (अधिकतम 25 हजार) की पैनलटी देनी होगी। यदि पैनलटी 7 दिन के अंदर नहीं दी जाती तो ट्रक जब्त हो सकता है। जिसे कि अलग से टैक्स रकम के बराबर जुर्माना देकर छुड़वा सकता है।
जल ट्रांसपोटेशन (परिवहन) के लिए जीएसटी?
जीएसटी अधिनियम 2017 के अनुसार, अंतर्देशीय जलमार्गों द्वारा माल के परिवहन के माध्यम से सेवाओं पर कोई जीएसटी देय नहीं है। इसलिए अंतर्देशीय जलमार्गों द्वारा माल के परिवहन के माध्यम से सेवाओं पर देय जीएसटी की दर शून्य है।
जीएसटी परिषद भारत के लिए 4 मुख्य जीएसटी दर स्लैब तय करती है। अब जीएसटी दरों को अंतिम रूप दिया गया है यानी भारत में जीएसटी की दर 5%, 12%, 18% और 28% है। सामान्य रूप से उपयोग की जाने वाली वस्तुएं और सेवाएं 5% की दर से 1 स्लैब में आती हैं, 12% पर मानक सामान और सेवाएँ, 18% पर 2 स्लैब में मानक सामान और सेवाएँ गिरती हैं और विशेष श्रेणी के सामान और सेवाएँ जिनमें विलासिता – 28% शामिल है। सबसे आवश्यक सामान और सेवाएँ विस्तारित श्रेणियों के तहत जीएसटी की शून्य दर को आकर्षित करती हैं। लक्जरी वस्तुओं और सेवाओं और कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर 28% GST का अतिरिक्त उपकर लगता है।
उपरोक्त विवरण केवल अंतर्देशीय जलमार्ग द्वारा माल के परिवहन के माध्यम से सेवाओं पर जीएसटी दर टैरिफ के बारे में जानकारी के लिए है। उपरोक्त सूचनाओं की वैधता और अंतर्देशीय जलमार्ग द्वारा माल के परिवहन के माध्यम से सेवाओं पर जीएसटी दर के बारे में संशोधन आपके व्यापार से पहले सत्यापित किए जा सकते हैं।
क्या ट्रांसपोर्टर के रूप में परिवहन सेवाओं से संबंधित रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता है?
सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 35 (2) के अनुसार आपको माल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी अथवा माल के अन्य संबंधित विवरणों का रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, सीजीएसटी नियम 2017 के नियम 56 के अनुसार आपको अपनी प्रत्येक शाखा के लिए परिवहन, डिलीवरी और ट्रांजिट में भंडार किए गए माल के रिकॉर्ड के साथ-साथ पंजीकृत व्यवसाई और माल को लेने वाले का जीएसटीआईएन नंबर रखने की आवश्यकता है।