इस लेख में हम जानेंगे की जीएसटी न भरने पर जुर्माना कैसे लगता है। अथवा क्यों लगता है? दूसरे शब्दों में कहे तो, जीएसटी रिटर्न न चुकाने पर जुर्माना कैसे लगता है। भारत सरकार ने जीएसटी न भरने पर अपनी प्रतिक्रिया स्पष्ट की है। सरकार द्वारा परिपत्र (सरकारी सूचना) निकाली गयी है, की अगर किसी व्यक्ति ने जीएसटी कर नहीं चुकाया है, तो उसे जुर्माना भुगतना पड़ेगा। जीएसटी कानून ने अपराधों के विवरण के साथ ही प्रत्येक प्राकृतिक सम्पदा को नुकसान पहुंचने पर लगाए गए दंडों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। यह जानकारी सभी व्यापार मालिकों, सीए और टैक्स प्रोफेशनल के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनजाने में हुई एक गलती का परिणाम गंभीर हो सकता है।
हमने इससे पहले के लेखो में स्पस्ट कर दिया है की, जीएसटी क्या है? अथवा जीएसटी नंबर की जांच कैसे करें? ऊपर दिए गए लिंक्स की सहायता से इनके बारे में और जानकारी ले सकते है। अब हम जानेंगे की जीएसटी में जुर्माना आखिर लगता क्यों है? इसके बारे में आपकी क्या राय है दोस्तों? आप हमारी वेबसाइट पर कमेंट करके भी बता सकते है।
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
जीएसटी न भरने पर जुर्माना?
अगर आप वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के अंतर्गत टैक्स भरते हैं, यानी आपकी आमदनी 20 लाख से ज्यादा है। तो आपको जीएसटी के तहत टैक्स देना होगा और अगर आप ऐसा नहीं करते पाए गए तो आपको नुकसान उठाना पड़ेगा। हम कुछ ऐसे कारणों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे, जिससे हम जान सकें की जीएसटी न भरने पर जुर्माना कब लगता है। अब हम इन कारणों पर एक-एक करके प्रकाश डालते हैं।
1. समय पर जीएसटी रिटर्न न भरना
इसका पहला कारण है सही समय पर टैक्स न भरना या अधूरा जीएसटी रिटर्न भरना। अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो जीएसटी कानून के अनुसार आपको 10,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसके अलावा, अगर आप अधूरा रिटर्न भरते हैं, तो भी आपको ये जुर्माने भरने होंगे। अगर आपने लगातार दो बार जीएसटी रिटर्न नहीं भरा है तो आपका जीएसटी पंजीकरण रद्द भी हो सकता है।
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2. टैक्स चोरी करना
इसके अलावा, जीएसटी में कर चोरी के लिए 5 साल तक की जेल का प्रावधान है। यदि आप 2.5 करोड़ या उससे अधिक की कर चोरी कर रहे हैं, तो आपको 5 साल की जेल और जुर्माना का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि जेल की सजा मुकदमा चलाए जाने के बाद ही हो सकती है।
3. निश्चित तारीख पर जीएसटी न भरना
जीएसटी कानून के अनुसार, आपको मासिक रिटर्न एक निश्चित तारीख को भरना होगा। साथ ही, अपने उपभोक्ताओं से वसूले जाने वाले जीएसटी को भी सरकार को समय पर देना होगा। इस मामले में सुस्ती नहीं चलेगी, क्योंकि यह जीएसटी कानून के तहत एक अपराध है। इसलिए आपके खिलाप टैक्स अधिकारी नोटिस या ऑडिट भी करा सकता हैं, और इसमें कानूनी कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।
4. खरीद और बिक्री का रिकॉर्ड रखना
जीएसटी के तहत हर खरीद और ब्रिक्री का लिखित रिकार्ड रखना बेहद जरूरी है। अगर हिसाब किताब रखने की आदत नहीं है तो इसे सुधार लें। क्योंकि खाता नहीं होने के कारण, आपका जीएसटी रिटर्न अधूरा होगा, चूँकि आजकल सब कुछ ऑनलाइन रिकॉर्ड पर है, इसलिए ऐसा करने की गलती न करें अन्यथा आप पकड़े जा सकते हैं। इस वजह से आप पर टैक्स चोरी के आरोप लग सकते हैं। क्योंकि टैक्स की चोरी में सजा का भी प्रावधान है।
5. बिल का रिकॉर्ड रखना
जीएसटी के तहत, व्यवसाय करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को खरीद और बिक्री के दौरान मिलने वाले हर एक बिल को संभाल कर रखना आवश्यक है। क्योंकि जीएसटी द्वारा प्रदान लाभों के अंतर्गत इन बिल को पेश किये बिना जीएसटी के इनपुट क्रेडिट या टैक्स में छूट नहीं मिलती है।
6. बिल में हेरफेर
इतना ही नहीं अगर आप बिल से छेड़छाड़ करते हैं, और टैक्स अफसर (अधिकारी) को गलत जानकारी देते हैं, अथवा टैक्स फाइलिंग में गड़बड़ी करते हैं। साथ ही अवैध रूप से आपूर्ति या सामान के परिवहन के लिए गैरकानूनी तरीके अपनाते है। तो आपको भारी जुर्माना तक देना पड़ सकता है, या फिर आप जेल भी जा सकते हैं।
जीएसटी के अपराध और जुर्माना?
आइए जानने की कोशिश करते हैं कि जीएसटी टैक्स का भुगतान न करने पर दंड संहिता के अंतर्गत कौन से अपराध और उनके लिए निश्चित सजा भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गयी हैं। सर्वप्रथम हम उन सभी अपराधों के बारे में जानेंगे। तथा उसके बाद उन पर लगने वाला जुर्माना क्या होता है। इसके बारे में हम जानने की कोशिश करेंगे।
1. जीएसटी में अपराध क्या होते है?
आपने सुना होगा कि जीएसटी में टैक्स नहीं भरने के लिए 21 अपराध हैं। जिसका प्रदर्शन भारत सरकार द्वारा किया गया था। हम इसे ऐसे समझने की कोशिश करेंगे, की यदि किसी व्यक्ति की सालाना आय 20 लाख से अधिक है, परन्तु उसने जीएसटी में पंजीकरण नहीं करवा रखा है, तो यह एक प्रकार का अपराध माना जायेगा। इसी प्रकार के कुछ अन्य अपराधों के बारे में हम इस लेख में आगे जानेंगे।
2. जीएसटी में जुर्माना क्या है?
आप जानते है की अगर कोई भी व्यक्ति क़ानूनी अपराध करता है तो उसे उसका दंड या फिर एक निश्चित जीएसटी में जुर्माना भी भुगतना पड़ता है। ठीक इसी प्रकार अगर कोई व्यापारी अथवा व्यवसाय टैक्स चोरी का अपराध करते है, तो जीएसटी के तहत उन्हें इसका जुर्माना देना होगा, या उन्हें कानूनी कार्यवाही से भी गुजरना पड़ सकता है। जैसा की हम आपको ऊपर बता चुके है, की सजा जुर्म से सम्बंधित होती है, और जिन सिद्धांतों पर यह आधारित हैं, वह सभी कानून द्वारा उल्लेखित हैं। नीचे हमने ऐसे ही कुछ कारणों को प्रदर्शित किया है –
1) जीएसटी पंजीकरण न करवाना
व्यक्ति द्वारा जीएसटी के तहत पंजीकरण नहीं करवाना अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अगर कोई व्यक्ति अपनी सालाना आय के तहत जीएसटी भरने योग्य है, पर उसने जीएसटी के तहत पंजीकरण नहीं कराया है। तो उसको आर्थिक जुर्माना और जुर्म की सजा दोनों भुगतने पड़ सकते है। हालांकि, यह जीएसटी नियम हर व्यक्ति पर लागू नहीं होता है क्योंकि यह उसकी वार्षिक आय पर निर्भर करता है।
2) फर्जी जीएसटीआईएन का प्रयोग
किसी जीएसटी करदाता के द्वारा, दूसरे करदाता के जीएसटीआईएन संख्या का अवैध रूप से उपयोग करना भी एक अपराध है। क्योंकि यदि किसी करदाता का जीएसटीआईएन नंबर किसी कारणवश रद्द कर दिया गया है, और फिर भी वह किसी अन्य करदाता के जीएसटीआईएन का उपयोग ग़ैरक़ानूनी तरीके से करता है। तो यह भी एक बड़ा अपराध है। किसी भी करदाता को ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि अगर वह ऐसा करते हुए पकड़ा गया तो उसे इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।
3) पंजीकरण में गलत जानकारी भरना
किसी व्यक्ति द्वारा जीएसटी के तहत पंजीकरण करवाते समय गलत जानकारी प्रस्तुत करना बहुत गंभीर अपराध है। क्योंकि जीएसटी रजिस्ट्रेशन करते समय यदि व्यक्ति अपने बारे में कोई भी फर्जी विवरण देता है। तो वह सजा का पात्र है, उदाहरण के तौर पर जब आपका जीएसटी पंजीकरण होता है, तब आपको सिर्फ अपने बारे में सही जानकारी देनी होती है, जैसे की – आपका वर्तमान फ़ोन नंबर, पूरा नाम, ईमेल आईडी, घर का स्थायी पता आदि। आप किसी और की जानकारी अपने जीएसटी पंजीकरण में नहीं दे सकते है।
4) नकली जीएसटी रिटर्न भरना
यदि आप भी वित्तीय रिकॉर्ड के दस्तावेजों में या टैक्स से बचने के लिए नकली जीएसटी रिटर्न के दस्तावेज प्रस्तुत करते है, तो यह कानून की नजर में एक जुर्म है। भारत सरकार के जीएसटी नियम के अनुसार जिन व्यक्तियों की वार्षिक आय 20 लाख से अधिक होती है। तो उनको जीएसटी रिटर्न भरना पड़ता है। लेकिन कुछ लोग इससे बचने के लिए अपनी वार्षिक आय के फर्जी दस्तावेज बनाकर टैक्स भरने से बचते हैं। जीएसटी नियम के अनुसार उनको टैक्स देना चाहिए। अगर ऐसा कोई भी व्यक्ति अधिकारीयों द्वारा पकड़ा जाता है। तो उसे जुर्माने के साथ-साथ जेल भी हो सकती है।
5) धोखे से मुनाफा कमाना
कभी-कभी कुछ व्यापारी व्यवसाय में धोखे से मुनाफा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। जैसे की मान के चलिए कोई विक्रेता सामान को 5% की जीएसटी पर खरीदता है, और उसी सामान को वो 12% की जीएसटी के साथ ग्राहक को बेचता है। ऐसा करने पर उस सामान पर उसे 7% ज्यादा मुनाफा प्राप्त होगा। जो की एक तरह से गलत है। अगर आपके साथ कोई विक्रेता ऐसा करता हुआ पाया जाये तो आप तुरंत उसकी शिकायत कर सकते है।
6) कंपोजिशन स्कीम का गलत लाभ
यदि कोई करदाता जीएसटी नियम के अंतर्गत अयोग्य होने पर भी कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुनता है। तो यह जीएसटी का नियम तोड़ना कहलाता है। क्योंकि अगर आपकी सालाना आमदनी 20 लाख रुपए से अधिक होती है, लेकिन 75 लाख रुपए से कम है। तभी आप जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के तहत अपना पंजीकरण करा सकते हैं। इस योजना में व्यापारियों को 1% और निर्माताओं को 2% तथा दुकान चलाने वालों को 5% की दर से टैक्स चुकाना होता है। इस कैटेगरी (श्रेणी) के व्यापारियों को न तो अपने ग्राहकों से जीएसटी वसूलनी होती है, और न ही उसका कोई हिसाब देना पड़ता है। ऐसे व्यापारी अपनी खरीदारियों के लिए जो जीएसटी चुकाते हैं, उस पर टैक्स वापसी का क्लेम भी नहीं कर सकते हैं।
7) बिल में गलत जीएसटी लगाना
यदि कोई व्यापारी किसी भी सामान या सेवाओं की आपूर्ति (प्रदान) किये बिना किसी व्यक्ति को गलत बिल जारी करके जीएसटी लगाता है। तो यह भी एक अपराध की श्रेणी में आता है, क्योंकि यदि कोई व्यक्ति जीएसटी के दायरे में नहीं आता है। तो उसे टैक्स या भुगतान करने की कोई भी आवश्यकता नहीं होती है। अगर कोई व्यापारी फर्जी बिल की सहायता से आपके साथ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है। तो आपको उससे सतर्क रहना चाहिए, और उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करनी चाहिए। जिससे वह भविष्य में ऐसा करने की गलती दोबारा न करे।
जीएसटी में जुर्माने से जुड़े कुछ तथ्य?
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं, लेकिन जीएसटी कानून के तहत क्या गलत है और इसका उल्लंघन करने पर कितना जुर्माना लगाया जा सकता है यह भी एक बड़ा सवाल है। आइए जानते हैं कि जीएसटी कानून का उल्लंघन कैसे हो सकता है और कितना जुर्माना लगाया जा सकता है। इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में नीचे एक-एक करके विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।
- बगैर बिल के माल बेचने पर या फिर फर्जी बिल देने पर।
- बगैर माल बेचे बिल देने पर।
- टैक्स इकट्ठा करके रख लिया और देय तारीख से 3 माह के भीतर नहीं भरा।
- इस कानून के विरुद्ध टैक्स (जहां जरूरी नहीं) कलेक्ट करके रख लिया और 3 माह तक नही भरा।
- टीडीएस नहीं काटा या कम काटा और भरा भी नहीं।
- रिफंड फ्रॉड करके ले लिया।
- इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर ने आईटीसी डिस्ट्रीब्यूट गलत कर दिया या आईटीसी गलत ले लिया।
- टैक्स चोरी के उद्देश्य से रिकॉर्ड में हेरफेर किया।
- कानून के अनुसार जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना था पर नहीं कराया।
- रजिस्ट्रेशन के वक्त गलत जानकारी दी या गलत पेपर दिया।
- किसी अधिकारी को उसकी ड्यूटी निभाने से रोकने पर।
- माल का ट्रांसपोर्टेशन बगैर दस्तावेजों (ई-वे बिल) के किया।
- टैक्स चोरी के उद्देश्य से कुल टर्नओवर को छिपाया।
- बुक्स और अन्य जरूरी डाक्यूमेंट नहीं रखे तो।
- किसी अधिकारी को आवश्यक डॉक्यूमेंट नहीं दिए या किसी अधिकारी को गलत दस्तावेज देने की स्थिति में।
- अधिकारी को लगता है कि माल जब्ती योग्य है।
- दूसरे का रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग किया गया हो।
- किसी भी दस्तावेज में हाथ से हेरफेर किया गया हो।
- कोई माल जब्त किया और उसमें कोई छेड़छाड़ की गई हो।