जैसा की हम जानते है, की जो व्यक्ति वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत आते है, उन व्यक्तिओं को जीएसटी के तहत आने वाले जीएसटी कानून और प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसी प्रक्रिया (इनपुट टैक्स क्रेडिट, जीएसटी रिफंड, लेट पेमेंट) तथा अन्य प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। जिनमे की इन्हें देय कर भुगतान एक सीमित समय तक चुकाना पड़ता है। अगर आपने नियत समय तक कर का भुगतान नहीं करते है, तो आपको जीएसटी ब्याज से होकर गुजरना पड़ सकता है। तो आज हम इस लेख में कर भुगतान के नियत समय के बाद लगने वाले जीएसटी इंटरेस्ट (ब्याज) के बारे में बताने जा रहे है। की वास्तवं में जीएसटी ब्याज क्या होता है? जीएसटी ब्याज की गणना कैसे करें? अथवा जीएसटी ब्याज का भुगतान किन करदाताओं को करना होगा? और देखेंगे ऑनलाइन जीएसटी सूद केलकुलेटर। चलिए शुरू करते है।
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
जीएसटी ब्याज किस प्रकार लागू होती है?
वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत अगर किसी व्यक्ति की वार्षिक आय 40 लाख से अधिक है तो उसे जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन करने की आवश्यकता होती है। अब जब व्यक्ति ने प्रैक्टिशनर व्यक्ति की सहायता से जीएसटी के तहत पंजीकरण करवा लिया है, तो अब उस व्यक्ति पर जीएसटी की सभी पक्रिया लागू होंगी। जिसके तहत उस व्यक्ति को जीएसटी रिर्टन, इनपुट टैक्स क्रेडिट, जीएसटी रिफंड अथवा निम्न प्रकार की प्रक्रियाओं का नियत तारीख के अंदर भुगतान करना पड़ता है। यदि किसी कारण वश करदाता नियत तारीख तक भुगतान नहीं करता है तो, इसके बाद, उसे कर के साथ-साथ जीएसटी ब्याज का भी भुगतान करना होगा। इसे हम कुछ जीएसटी प्रक्रियाओं की सहायता से आपको समझाने का प्रयत्न करने की कोशिश करते है। नीचे एक-एक करके आप प्रक्रियाओं को देख सकते है।
1. जीएसटी रिफंड पर देय ब्याज?
यदि सरकार करदाता को धन वापसी के कारण किसी भी राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, तो किसी भी विलंबित भुगतान पर सरकार द्वारा निम्नलिखित ब्याज दर का भुगतान किया जाएगा।
- अपील के संदर्भ में रिफंड पर देय ब्याज – 6% प्रति वर्ष।
- वापसी के विलंबित भुगतान पर देय ब्याज – 6% प्रति वर्ष।
- अपीलीय प्राधिकरण या अपीलीय न्यायाधिकरण या न्यायालय द्वारा पारित रिफंड आदेश पर ब्याज का विलंबित भुगतान प्रति वर्ष 9% लगाया जायेगा।
2. जीएसटी लेट पेमेंट पर लागू ब्याज?
अगर किसी भी व्यक्ति ने जीएसटी के तहत लेट पेमेंट की तो उस पर जीएसटी देर से भुगतान के लिए 18% प्रति वर्ष की दर से ब्याज लागू होगा। यदि करदाता ने जीएसटी रिटर्न में आउटपुट कर देयता को गलत किया है, तो 24% की दर से ब्याज लागू होती है। ब्याज के अलावा, गलत रिटर्न फाइलिंग या फ्रॉड (धोखा) के लिए जीएसटी के तहत करदाता पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
3. जीएसटी नहीं चुकाया या कम चुकाया जाने पर पेनल्टी?
जब भी करदाता गलत तरीके से लाभ उठाने की कोशिश करता है, या कर की छूट या तथ्यों का दमन किया जाता है, तो कर से बचने के लिए, ब्याज और दंड के साथ राशि के लिए कर अधिकारी द्वारा एक नोटिस जारी किया जाता है। जीएसटी के देर से भुगतान पर लागू ब्याज की राशि नीचे प्रदान की गई है। ब्याज के अलावा, कर से बचने के इरादे से नीचे दी गई दर पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है :-
टैक्स, ब्याज और पेनल्टी के भुगतान का समय | जुर्माना की राशि |
कारण बताओ नोटिस जारी करने से पहले | कर राशि का 15% देय |
कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद 30 दिनों के भीतर | देय कर राशि का 25% |
कारण बताओ नोटिस के आदेश के संचार से 30 दिनों के बाद | कर राशि का 50% देय |
किसी अन्य मामले में। | कर राशि का 100% |
जीएसटी ब्याज के लिए 2019 में आये नए नियम?
केंद्रीय बजट 2019 में कई नए अपडेट के साथ जीएसटी-पंजीकृत करदाताओं को राहत प्रदान की है। ऐसा एक संशोधन जीएसटी देयता के विलंबित भुगतान पर ब्याज से संबंधित है। करदाताओं के लिए यह एक बड़ी राहत है, क्योंकि जब तक यह संशोधन पारित नहीं होगा, तब तक नियत तारीख के बाद चुकाए गए कर की पूरी राशि पर ब्याज हमेशा लगाया जायेगा।
कर देनदारी के विलंबित भुगतान पर ब्याज की वर्तमान दर बिना जीएसटी पर प्रति वर्ष 18% है। इस तरह ब्याज पर कर के भुगतान के सभी तरीकों पर शुल्क लिया जाता है, भले ही वास्तविक नकद का भुगतान ही किया गया हो, लेकिन अगर व्यक्ति ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का उपयोग किया गया है, तो यह प्रावधान कठोर है। क्योकि ITC क्रेडिट तब उत्पन्न होता है जब सरकार को कर का भुगतान पहले ही कर दिया गया हो। इसके तहत वह व्यक्ति क्रेडिट के पात्र होता है। इससे जुडी एक जानकारी देखिये :-
1. आईटीसी से सम्बंधित जीएसटी ब्याज?
सन 2017 में, तेलंगाना उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की गई थी, जिसमें कर योग्य की सकल राशि पर ब्याज ली गयी थी। याचिकाकर्ता ने देय कर के इनपुट टैक्स क्रेडिट हिस्से पर लगाए जा रहे ब्याज के खिलाफ अपील की, क्योंकि जीएसटी पोर्टल रिटर्न दाखिल करने की अनुमति नहीं दे रहा था, जब तक कि नकदी के कारण देयता का भुगतान नहीं किया गया हो। जबकि विशेषज्ञों की राय थी कि सरकार द्वारा यह नियम उसके उद्देश्यों और स्थापित प्रथाओं के खिलाफ है, क्योकि कानून ने यह स्पष्ट नहीं किया कि देयता के ब्याज की सीमा कितनी होनी चाहिए। इसलिए, कर अधिकारियों द्वारा ब्याज शुल्क को मान्य करने और इस तरह रिट याचिका को खारिज करने का आदेश पारित किया गया।
इसके बाद ,31 वीं GST काउंसिल की बैठक में इस कानून को बदलने की सिफारिश की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि करदाता की केवल शुद्ध देयता ही ब्याज के अधीन हो। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम में यह संशोधन वित्त विधेयक, 2019 के तहत प्रस्तुत किया गया था। इस नए संशोधन अधिनियम की धारा 50 के तहत, अब जीएसटी देयता के केवल उस हिस्से पर ब्याज लगाया जाएगा जो कि डेबिट द्वारा भुगतान किया जाता है। दूसरे शब्दों में, नकदी का उपयोग कर भुगतान किये गए हिस्से पर ही ब्याज लगाया जायेगा। यह नियम करदाताओं को बहुत वांछित राहत देता है।
इस संशोधन को सरल शब्दों में समझने के लिए, आइए अद्यतन (अपडेट) से पहले और बाद में जीएसटी के तहत बेलगाम भुगतान करने वाले करदाताओं के दो उदाहरण देखें :-
सीजीएसटी अधिनियम के तहत ब्याज के लिए प्रावधान?
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 50 मुख्य रूप से अधिनियम के तहत देय ब्याज से संबंधित है। धारा 50 के पहले दो उप-वर्गों में करों के विलंबित भुगतान पर ब्याज के भुगतान के प्रावधान हैं। तैयार संदर्भ के लिए, आइए दोनों उप-वर्गों के परीक्षण से गुजरते हैं जो कर योग्य व्यक्तियों पर ब्याज का भुगतान करने के लिए देयता डालते हैं, अगर वह कर या उसके किसी भाग का भुगतान करने में विफल रहता है।
1. धारा 50 (1) सीजीएसटी अधिनियम के तहत ब्याज
धारा 50 (1) वे प्रत्येक व्यक्ति जो इस अधिनियम के प्रावधानों या उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, तो उनको निर्धारित अवधि के भीतर सरकार को कर या उसके किसी भाग का भुगतान नियत समय तक करना अनिवार्य रूप से होगा। अगर ऐसा करने में करदाता विफल हो जाता है, तो उस अवधि के लिए (जिसके लिए कर या उसके किसी भाग को भुगतान नहीं किया जाता है) उन करदाताओं पर 18 प्रतिशत तक दर अनिवार्य रूप से लगेगी।
2. धारा 50 (2) के तहत ब्याज
धारा 50 (2) उप-धारा (1) के तहत जिस दिन से उस कर का भुगतान किया जाना था उस दिन से लेकर सफल होने के बाद तक जीएसटी इंटरेस्ट की गणना की जाएगी। इस तरह से निर्धारित किया जा सकता है।
जीएसटी ब्याज का भुगतान के लिए कौन उत्तरदायी है?
प्रत्येक व्यक्ति जो इस अधिनियम के प्रावधानों या उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, लेकिन निर्धारित अवधि के भीतर सरकार को कर या उसके किसी भाग का भुगतान करने में विफल रहता है, ऐसे सभी व्यक्ति जीएसटी ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। आइये नीचे देखते है की कौन-कौन से नियम जीएसटी इंटरेस्ट पर अनिवार्य रूप से लागू होंगे।
1. किस दर पर लगेगी ब्याज
सरकार ने अधिसूचना संख्या 13/2017 – केंद्रीय कर दिनांक 28/06/2017 को अधिसूचित किया है। जिसके तहत जीएसटी ब्याज 18% की दर से लागू होगी, जिसके द्वारा सरकार, जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर अधिसूचित किया जा सकता है।
2. किस अवधि के लिए ब्याज
वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत उस अवधि के लिए ब्याज लगने का प्रावधान है, जिसके लिए कर या उसके किसी भाग का भुगतान नहीं किया जाता है।
3. क्या ब्याज के लिए नोटिस की आवश्यकता है?
अगर आपने नियत तारीख पर किसी भी कर का भुगतान नहीं किया है, तो आपको ब्याज देना होता है। इसके लिए ब्याज का भुगतान आपको अपने आप करना होता है। अर्थात, करदाता को खुद ही ब्याज चुकानी होगी। इसके लिए कोई भी नोटिस जारी नहीं किया जायेगा।
जीएसटी ब्याज का भुगतान किन करदाताओं को करना होगा?
अगर आप वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत आते है। तो आपको बहुत से कर भुगतान करने होते है। यदि आपने दी गयी तारीख से पहले भुगतान नहीं किया है, तो इसके चलते आपको जीएसटी ब्याज का भी भुगतान करना पड़ेगा। नीचे देखिये किन करदाताओं को जीएसटी इंटरेस्ट का भुगतान करने की आवश्यकता है।
- यदि जीएसटी भुगतान में देरी करता है यानी नियत तारीख के बाद जीएसटी का भुगतान करता है।
- अतिरिक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करता है।
- अतिरिक्त आउटपुट कर देयता को कम करता है।
- वर्तमान में, जीएसटीआर -3 बी और जीएसटीआर -4 दाखिल करने के समय जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है।
यदि रिटर्न भरने के नियत तारीखों के भीतर जीएसटी का भुगतान नहीं किया जाता है, तो निम्नलिखित दरों पर भी जीएसटी ब्याज देना होगा :-
- विवरण ब्याज।
- देय तिथि के बाद कर का भुगतान 18% तक देना होगा।
- अधिक आईटीसी का दावा या आउटपुट टैक्स 24% में अतिरिक्त कमी।
- ब्याज की गणना उस दिन से की जानी चाहिए जिस दिन कर देय था।
1. इसे हम उदाहरण की सहायता से समझने की कोशिश करते है :-
जैसे की कोई भी करदाता किसी भी प्राकर से रुपये का कर भुगतान करने में विफल रहता है। मान कर चलिए, दिसंबर 2018 के महीने के लिए 10,000 (देय तिथि -20 जनवरी 2019) वह 20 फरवरी 2019 को भुगतान करता है। तो इसके तहत जीएसटी ब्याज की गणना निम्नानुसार की जाएगी :-
- किसी भी कर का 10,000 रुपये प्रति माह का भुगतान
- एक महीने के लिए – 31 दिन
- 18 % जीएसटी इंटरेस्ट लागू
10,000 * 31 दिन / 365 * 18% = 153 रु।
तो उस करदाता पर प्रति माह 153 रुपये का ब्याज लगेगा। इसलिए ब्याज से बचने के लिए नियत समय पर कर भुगतान करना और नियत तारीखों के भीतर जीएसटी रिटर्न दाखिल करना महत्वपूर्ण है।
जीएसटी ब्याज कैलकुलेटर
जीएसटी के आवेदन के बाद, आपको इसके तहत सभी कानूनों का पालन करना होगा। जैसे की आपको नियत तारीख पर आईटीसी, जीएसटी रिफंड, लेट पेमेंट जैसी जटिल प्रक्रियाओं का भुगतान करना पड़ेगा। अगर अपने नियत तारीख के बाद, करो का भुगतान किया है, तो आपको इसके तहत कर भुगतान के साथ-साथ जीएसटी इंटरेस्ट का भुगतान भी करना होगा। ब्याज की गणना करने में काफी मश्कत करनी पड़ती है। हालाँकि जीएसटी सूद की गणना को और भी आसान बनाने के लिए एक मुफ्त ऑनलाइन भारतीय जीएसटी कैलकुलेटर उपलब्ध है। जो की आपको जीएसटी ब्याज की जटिल गणना से राहत प्रदान करेगा। क्योंकि आप जानते है की भारत में जीएसटी कर को लागू करके भारत से सभी अन्य करों को हटा दिया गया है। जिसके बाद वर्तमान समय में अब भारत में सिर्फ एक ही कर जीएसटी प्रणाली बाकी है।
ऑनलाइन उपकरण की सहयता से जीएसटी ब्याज की गणना करने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें।