भारत सरकार द्वारा जब से जीएसटी लागू किया गया है। तब से इसमें कुछ न कुछ नियम में परिवर्तन या कुछ नये नियमो का जुड़ाव होता रहता है। जैसे की बात करते है, जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट सिस्टम का अवगनम। इनपुट क्रेडिट एक वह सिस्टम है, जिसके अंतर्गत आप अपने पहले अदा कर चुके टैक्स (खरीदारियों के साथ) का उपयोग करके उसे अपनी वर्तमान टैक्स देनदारी से घटा सकते हैं। ऐसा करने से आप दोहरा टैक्स देने से बच जाते है।
सरल शब्दों में कहे सकते है, इनपुट क्रेडिट का मतलब बिक्री पर टैक्स का भुगतान करते समय, आप उस टैक्स को कम कर सकते हैं जो आपने पहले ही खरीद पर चुकाया है। यह अवधारणा पूरी तरह से नई नहीं है। क्योंकि यह जीएसटी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था (सेवा कर, वैट और उत्पाद शुल्क) के तहत पहले से मौजूद थे। परन्तु अब इसका दायरा जीएसटी के तहत चौड़ा कर दिया गया है।आइये फिर जानते है, अपने इस लेख में की इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या है? और यह कैसे काम करता है?
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
- 1. इनपुट टैक्स क्रेडिट या इनपुट क्रेडिट क्या है?
- 2. इनपुट टैक्स क्रेडिट कार्य कैसे करता है?
- 3. इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम या दावा करने के लिए शर्तें क्या है?
- 4. जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट के कितने प्रकार है?
- 5. जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट का भुगतान कैसे करें?
- 6. रिवर्स इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या है?
- 7. इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने की विधि और उनके उपयोग क्या है?
इनपुट टैक्स क्रेडिट या इनपुट क्रेडिट क्या है?
सबसे पहले तो हम स्पष्ट रूप से बताना चाहेंगे, कि इनपुट क्रेडिट और इनपुट क्रेडिट, दोनों एक ही चीजें हैं। मूल रूप से तो इनपुट टैक्स क्रेडिट ही होता है। परन्तु इसे संक्षेप में इनपुट क्रेडिट नाम दे दिया गया है। इनपुट क्रेडिट का अर्थ या मतलब है, कि आपके द्वारा इस्तेमाल किए गए पूंजीगत सामानों के अलावा कोई भी सामान जिसका उपयोग आपके व्यवसाय के दौरान किया जाता है। और सेवाओं के इनपुट पर दिए गए करों को इनपुट टैक्स कहा जाता है। तो हम कहे सकते है, की किसी वस्तु की खरीद पर पहले से चुकया गये टैक्स को वर्तमान टैक्स से घटा सकते है और इस प्रकार हमको फिर शेष राशि का ही भुगतान करना होगा। इस प्रकिया को ही इनपुट क्रेडिट कहते है। इसे और बेहतर समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते है:-
1. इनपुट क्रेडिट का उदाहरण
माना आप एक एक साबनु कारोबारी है। अपने साबुन बनाने के लिए 100 रुपये का कच्चा माल खरीदते है। आपके उस 100 रुपये के कच्चे माल पर 18 प्रतिशत टैक्स लगाया गया। इस प्रकार आपको यह माल 118 रूपए का पड़ता है। 118 रूपए अदा करके अपने 100 रूपए की वस्तु पर 18 रूपए टैक्स अदा किया। अब आप उस कच्चे माल का उपयोग करके साबुन तैयार करते है। और उन बने साबुनो को 200 रूपये में बेचते है। जिन पर टैक्स दर से बना देय टैक्स राशि 36 रूपए। अंत में आपको उन 36 रूपए पर 18 रूपए का इनपुट क्रेडिट मिलेगा। क्योकि आप 18 रूपए टैक्स के रूप में पहले अदा कर चुके है।
इनपुट टैक्स क्रेडिट कार्य कैसे करता है?
जब कोई व्यापारी उपभोक्ताओं को माल या वस्तु बेचता है, तो वह माल की बिक्री के एचएसएन और गंतव्य स्थान के आधार पर जीएसटी एकत्र करता है। जैसे :- हम मान लें कि एक वस्तु का मूल्य 1000 रूपए है और लागू जीएसटी की दर के अनुसार 18% टैक्स लगता है। इसलिए, उपभोक्ता को वस्तु के लिए कुल 1180 रूपए का भुगतान करना होगा, जिसमें 180 रूपए वस्तु एवं सेवा टैक्स भी शामिल है। और इनपुट क्रेडिट के बिना, व्यापारी को सरकार को 180 रूपए का भुगतान करना होगा। लेकिन इनपुट टैक्स क्रेडिट या आईटीसी के साथ, व्यापारी कुल कर को कम कर सकता है कि उसे सरकार को भुगतान करना होगा।
इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम या दावा करने के लिए शर्तें क्या है?
इनपुट क्रेडिट की मांग, जीएसटी के तहत पंजीकृत व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है, जब वह निर्धारित सभी शर्तों को पूरा करता है। आप इन सभी शर्तो को नीचे बिंन्दुओं की सहायता से देख सकते है:-
- आपके पास अपनी खरीदारी पर चुकाए गये जीएसटी टैक्स रसीद होनी चाहिए।
- यदि डेबिट नोट के बदले में इनपुट क्रेडिट क्लेम कर रहे हों तो पंजीकृत व्यापारी की ओर से जारी डेबिट नोट होना चाहिएं।
- जब सामान किश्तों में प्राप्त किया जाता है तो इनपुट क्रेडिट का क्लेम केवल तभी किया जा सकता है जब अंतिम बिल प्राप्त होता है।
- यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार द्वारा पेड (paid) कर का भुगतान आपूर्तिकर्ता (Suppliers) द्वारा किया गया हो।
- माल या सेवा के खरीदार को टैक्स रसीद जारी होने की तारीख से तीन महीने के अंदर उस सेवा के लिए भुगतान कर देना अनिवार्य होगा। इसी अवधि के अंदर उस खरीदार पर बन रहे टैक्स का भुगतान भी हो जाना चाहिए।
- अपंजीकृत डीलर द्वारा आपूर्ति की गई वस्तुओं और सेवाओं के प्राप्तकर्ता के रूप में आपके द्वारा जारी किया गया चालान। ऐसी आपूर्ति रिवर्स चार्ज तंत्र के तहत आती है। इस तंत्र में एक पंजीकृत व्यक्ति को अपंजीकृत व्यक्ति द्वारा की गई आपूर्ति शामिल है।
जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट के कितने प्रकार है?
भारत देश में वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत आने वाले जीएसटी नियम के तहत इनपुट क्रेडिट तीन प्रकार से मिलते है। आप इन सभी प्रकारों को नीचे बारी-बारी से देख सकते है:-
1. राज्य जीएसटी इनपुट क्रेडिट (SGST Input Credit)
जब एक ही राज्य के दो व्यापारी आपस में किसी प्रकार का लेन-देन करते है, तो उनको राज्य सरकार को राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) के रूप में टैक्स अदा करना होता है। तथा राज्य सरकार को चुकाए जाने वाले इस जीएसटी टैक्स के बदले मिला इनपुट क्रेडिट।
2. केंद्र जीएसटी इनपुट क्रेडिट (CGST Input Credit)
यदि एक ही राज्य दो व्यापारी आपस में किसी प्रकार का सौदा करते है, तो उनको केंद्र सरकार को केंद्र जीएसटी (सीजीएसटी) के रूप में टैक्स अदा करना होता है। तथा केंद्र सरकार को दिए जाने वाले इस जीएसटी टैक्स के बदले मिला इनपुट क्रेडिट।
3. केंद्र शासित जीएसटी इनपुट क्रेडिट (UGST Input Credit)
यदि जब दो अलग-अलग राज्यो के व्यापारियों के मध्य किसी प्रकार के माल का खरीद-फरोख्त होता है, तो उस खरीद-फरोख्त पर बना टैक्स को एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) के रूप में केंद्र सरकार को अदा किया जाता है। तथा इस एकीकृत जीएसटी (IGST) के रूप दिए वाले इस जीएसटी टैक्स के बदले मिला इनपुट क्रेडिट।
जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट का भुगतान कैसे करें?
जीएसटी के तहत इनपुट क्रेडिट का भुगतान तीन प्रकार से होता है। इन तीनों प्रकारों के बारे में आप नीचे से जानकारी प्राप्त कर सकते है:-
1. राज्य जीएसटी का भुगतान।
जब किसी वस्तु या सामान का लेन-देन एक ही राज्ये के दो कारोबारियों के मध्य होता है, तो इस लेने के ऊपर बना राज्य जीएसटी टैक्स के राज्य सरकार को अदा करना होता है। इस टैक्स का भुगतान करने लिए हम राज्य जीएसटी इनपुट क्रेडिट या केंद्र शासित जीएसटी इनपुट क्रेडिट का उपयोग कर सकते है।
2. केंद्र जीएसटी का भुगतान।
जब किसी माल का लेन-देन एक ही राज्ये के दो व्यक्तियों के बीच होता है, तो उनको इस माल की लेन-देन पर एक केंद्र जीएसटी टैक्स, केंद्र सरकार को अदा करना होता है। इस टैक्स को चुकाने के लिए हम केंद्र जीएसटी इनपुट क्रेडिट या केंद्र शासित जीएसटी इनपुट क्रेडिट का उपयोग कर सकते है।
3. केंद्र शासित जीएसटी का भुगतान।
जब दो अलग-अलग राज्यो के दो व्यापारियों के मध्य किसी माल का सौदा होता है, तो उस सौदे पर बना टैक्स को एकीकृत जीएसटी (IGST) के रूप में केंद्र सरकार को अदा करना होता है इसके लिए वह राज्य जीएसटी, केंद्र जीएसटी या केंद्र शासित जीएसटी इन सभी प्रकार की इनपुट क्रेडिट का उपयोग कर सकता है।
नोट :- राज्य जीएसटी और केंद्र जीएसटी के इनपुट क्रेडिट एक दूसरे के उत्पादन कर के भुगतान के लिए उपयोग में नहीं लाए जा सकते।
केंद्र जीएसटी के भुगतान के लिए राज्य जीएसटी के बदले में मिले इनपुट क्रेडिट का उपयोग नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार राज्य जीएसटी के भुगतान के लिए केंद्र जीएसटी के बदले में मिले Input Credit का उपयोग नहीं किया किया जा सकता।
रिवर्स इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या है?
यदि माल और सेवाओं के खरीदार द्वारा बेचने वाले को 180 दिनों के भीतर माल और सेवा का मूल्य टैक्स के साथ भुगतान नहीं करता है, तो खरीदार को प्राप्त की गयी इनपुट क्रेडिट का रिवर्स करना पड़ेगा। तो कहे सकते है की प्राप्त की गयी इनपुट क्रेडिट ब्याज के साथ खरीदार की उत्पादन कर की देनदारी में जोड़ दी जाएगी। तो ऐसी कुछ स्थितियाँ हैं जहाँ रिवर्स इनपुट क्रेडिट का लाभ उठाने की आवश्यकता है। तो ऐसा होता है यदि आप:-
- व्यक्तिगत उपयोग के लिए सामान और सेवाओं का उपयोग करें।
- छूट की आपूर्ति के लिए वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करें।
- व्यक्तिगत उपयोग के लिए पूंजीगत वस्तुओं का उपयोग करें।
- पूंजीगत सामान और संयंत्र और मशीनरी बेचें।
- सामान्य जीएसटी से समग्र लेवी पर स्विच करें।
इनपुट क्रेडिट भी उलट जाती है अगर :-
- आपका पंजीकरण रद्द कर दिया गया है।
- क्रेडिट नोट इनपुट सेवा वितरक (आईएसडी) को जारी किया जाता है।
- छूट प्राप्त या गैर-व्यावसायिक उद्देश्य के लिए उपयोग किए गए इनपुट पर आईटीसी वर्ष के दौरान आईटीसी के उलट होने की तुलना में अधिक है।
- छूट प्राप्त या गैर-व्यावसायिक उद्देश्य के लिए उपयोग किए गए इनपुट पर आईटीसी उलट आईटीसी से अधिक है।
इनपुट क्रेडिट प्राप्त करने की विधि और उनके उपयोग क्या है?
अब हम बात करते है इनपुट क्रेडिट प्राप्त करने की विधि क्या है? और उनके उपयोग के लिए प्रक्रिया इसको अच्छे से समझने के लिए एक उदाहरण लेते है।
मान लेते हैं कि दो व्यापारी हैं, नीरज और रोहित। नीरज, रोहित को माल बेचता है। इस सौदे में रोहित को जीएसटी भी अदा करना होता है। इसके बदले में रोहित इनपुट क्रेडिट का उपयोग कैसे करे, आइए समझते हैं:-
1. रिटर्न फॉर्म GSTR-1 को भरें।
नीरज अपनी बिक्री रिटर्न फॉर्म जीएसटीआर-1 में इस सौदे को दर्ज करेगा। चूंकि यह सौदा रोहित के जीएसटी नंबर (GSTIN) के साथ दर्ज होगा। इसलिए यह जीएसटी के तहत रोहित के अकाउंट में दिखने लगेगा। तथा रोहित की ओर से चुकाए गए जीएसटी के बदले में रोहित के इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट बही खाता में इनपुट क्रेडिट भी दर्ज हो जाएंगे।
2. GSTR 2 में दर्ज करें।
रोहित जब अपना खरीदारियों की आपूर्ति का विवरण का जीएसटी रिटर्न फॉर्म जीएसटीआर-2 भरेगा, तो उसे इसके आधार पर फॉर्म जीएसटीआर 2-ए में नीरज की ओर से दर्ज सौदा और उसे सम्बंधित सभी जानकारिया भी दिखेंगी। रोहित इसे स्वीकृत करके अपने GSTR 2 फॉर्म में कॉपी कर देगा।
3. जीएसटी GSTR- 3 भरें।
रोहित जब अपनी बिक्रियों और खरीदारियों के हिसाब से टैक्स का हिसाब करने के लिए जीएसटीआर- 3 फॉर्म भरेगा, तो वह अपनी टैक्स की देनदारी में इस सौदे पर मिले इनपुट क्रेडिट को समायोजित कर देगा। समायोजित न कर पाने की स्थिति में वह इनको रिफंड (आगे बढ़ने) का विकल्प का चयन कर सकता है।
निम्मलिखित चरणों का पालन करके आप प्राप्त किये गए इनपुट क्रेडिट का उपयोग कर सकते है।