जीएसटी कैसे सीखें? तो आइये जानते है, की जीएसटी क्या है? गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक गंतव्य आधारित कर है जिसका अर्थ है कि आपूर्ति के स्थान पर कर का भुगतान किया जाता है। जीएसटी को पूरे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर के रूप में माना जाता है क्योकि जीएसटी ने भारत को एक एकीकृत आम बाजार बना दिया है। यह एक प्रकार का कर है जो बिक्री, विनिर्माण और माल और सेवाओं के उपयोग पर लगाया जाता है। यह एकल कर है, जो सामान और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है, निर्माता से ग्राहक के लिए सही है। प्रत्येक चरण में भुगतान किए गए इनपुट करों का क्रेडिट मूल्यवर्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होता है, जो जीएसटी को अनिवार्य रूप से प्रत्येक चरण पर केवल मूल्यवर्धन पर कर बनाता है।
यह समान उत्पादों के लिए समान दरों पर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शुल्क लिया जाता है और यह लगभग सभी वर्तमान अप्रत्यक्ष करों की जगह लेता है जो केंद्र और राज्यों द्वारा अलग-अलग लगाए जाते हैं। तो इस लेख में हम जानेंगे की जीएसटी का मूल रूप क्या होता है। जीएसटी कैसे सीख सकते है? अथवा ये काम कैसे करता है? वस्तु एवं सेवा कर का इतिहास अथवा खोज के बारे में भी जानेंगे। साथ ही जानेंगे जीएसटी के प्रभाव, सुविधा केंद्र अथवा दहलीज के बारे में एक-एक करके जानने की कोशिश करेंगे?
इस लेख में हमने आपकी सुविधा अनुसार जीएसटी से जुडी सभी अहम् बातो की चर्चा करने की कोशिश की है। अतः यह लेख कुछ अधिक बड़ा है। इसलिए आपको इसे पढ़ने में सुविधा प्रदान करने के लिए हमने इसे विषय सूची के माध्यम से छोटे हिस्सों में विभाजित कर दिया है।
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
- 1. जीएसटी का पूर्ण रूप क्या है?
- 2. जीएसटी की मूल बातें?
- 3. जीएसटी का अर्थ अथवा मतलब क्या होता है?
- 4. जीएसटी कैसे काम करता है?
- 5. जीएसटी में टैक्स दरें?
- 6. जीएसटी कैसे लॉगिन करें?
- 7. जीएसटी का इतिहास और खोज?
- 8. भारत में जीएसटी संख्या क्या है?
- 9. भारत में जीएसटी की जरूरत क्यों?
- 10. भारत में जीएसटी कब पेश किया गया था?
- 11. कितने देशों में जीएसटी कानून लागू हैं?
- 12. जीएसटी में कारोबारियों की कितनी श्रेणियाँ (कैटेगरी) होती है?
- 13. जीएसटी के दुष्प्रभाव?
- 14. जीएसटी में जीटीए क्या है?
- 15. जीएसटी क्यों लागू किया गया है?
- 16. जीएसटी में टैली का महत्व?
- 17. जीएसटी दहलीज क्या है?
- 18. जीएसटी किस लेख के अंतर्गत आता है?
- 19. जीएसटी सुविधा केंद्र क्या है?
- 20. जीएसटी के प्रभाव?
जीएसटी का पूर्ण रूप क्या है?
जीएसटी का पूरा नाम या फुल फॉर्म भारत में “वस्तु एवं सेवा कर” नाम से जाना जाता है। इसका मतलब है की वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाला एकीकृत कर होता है। अंग्रेजी में इसका पूर्ण रूप “गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स” नाम से जाना जाता है। जीएसटी दो चीजों पर आधारित है। पहला है, “वस्तु” अथवा दूसरा है, “सेवाओं” पर आधारित होती है। भारत में कोई भी व्यक्ति वस्तुओं को खरीदता या लेन देन (फॉरवर्ड चार्ज के अंतर्गत) करता है अथवा सेवाओं का इस्तेमाल करता है, तो उस व्यक्ति को जीएसटी नियम के तहत इसका भुगतान करना पड़ता है।
जीएसटी की मूल बातें?
जीएसटी को पूरे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर के रूप में माना जाता है जो भारत को एक एकीकृत आम बाजार बनाने में मदद करता है। यह एक कर प्रणाली है जो बिक्री, विनिर्माण और माल और सेवाओं के उपयोग पर लगाया जाता है। यह एकल कर है जो सामान और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है, जो की निर्माता से ग्राहक के लिए सही है। प्रत्येक चरण में भुगतान किए गए इनपुट करों का क्रेडिट मूल्यवर्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होता है। जो जीएसटी को अनिवार्य रूप से प्रत्येक चरण पर केवल मूल्यवर्धन पर कर बनाता है। अंतिम उपभोक्ता केवल आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाए गए लाभों को निर्धारित करेंगे, जो पिछले सभी चरणों में हैं।
जीएसटी का अर्थ अथवा मतलब क्या होता है?
जीएसटी का अर्थ, वस्तु एवं सेवा कर को लागू करना भारत में अप्रत्यक्ष कर के सुधार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम होता है। जिससे की बड़ी संख्या में केंद्र और राज्यों के दवारा लगाए जा रहे करों को मिलाकर अकेला एक कर बना दिए जाने से करों बहुतायता और दोहरे कराधान की समस्या हल हो गई और एक सामान्य राष्ट्रीय बाजार के लिए रास्ता साफ हो गया है। उपभोक्ता की दृष्टि से देखें तो, सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि वस्तुओं पर लगने वाले कर के बोझ में कमी आ सकेगी। आज यह कर बोझ 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत के लगभग है। जीएसटी के लागू किए जाने से भारतीय उत्पाद घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। कुछ विशेषज्ञों से पता चला है कि इससे आर्थिक विकास पर भी बहुत उत्साहजनक प्रभाव दिखाई दिया है।
सरल भाषा में कहे तो :- जीएसटी लागू होने से पहले हमारे देश में दो तरह के टैक्स हुआ करते थे, एक डायरेक्ट, दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स। इनडायरेक्ट टैक्स में कई तरह के टैक्स हुआ करते थे, जैसे सेल्स टैक्स, एक्साइज टैक्स आदि। इसी इनडायरेक्ट टैक्स का वजन कम करने के लिए सरकार ने जीएसटी लागू किया है। डायरेक्ट टैक्स, जो इनकम पर लगाया जाता है, वो वैसा ही रहेगा। आपको पता है की भारत में सभी वर्ग के लाेग रहते हैं। इसलिए सरकार ने जीएसटी को दो भागों में बांटा हैं, इसमें लग्जिरियस गुड्स पर अच्छा खासा टैक्स लगाया गया है, तो नॉन लग्जिरियस गुड्स या सर्विस पर कम टैक्स लगाया गया है।
जीएसटी कैसे काम करता है?
अब हम समझते है की जीएसटी काम कैसे करता है, इसके साथ ही हम इनपुट टैक्स क्रेडिट को भी जानने की कोशिश करेंगे। नीचे जानते है की उदाहरण के साथ भारत में जीएसटी कैसे काम करता है? मान कर चलिए जीएसटी दर 10 प्रतिशत है तो –
लेने-देन | वस्तु का मूल्य | जीएसटी बना | सरकार को प्राप्त जीएसटी |
1. आपने मोहन को 1100 रुपए का कच्चा माल बेचा। | 1,000 | 100 | 100 रुपये |
2. मोहन ने पेंटर को प्रोडक्ट बनाकर 3300 में बेचा। | 3,000 | 300 | 200 (बाकी 100 रुपये की मोहन को इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल गई) |
3. पेंटर ने ग्राहक को अंतिम उत्पाद 5500 में बेच दिया। | 5,000 | 500 | 300 (बाकी 200 रूपये की पेंटर को क्रेडिट मिल जाती है) |
अंतिम उपभोक्ता को 5,500 का भार वहन करना पड़ा। | – | और | सरकार को 100+200+300 = 500 जीएसटी के रूप में मिल गए। |
इसमें आप साफ़ तौर पर देख सकते है की अंतिम उपभोक्ता को 5500 चुकाने पड़ते है। जिसमे उत्पाद की कीमत 5000 रुपये है और 10 प्रतिशत के हिसाब से 500 का जीएसटी टैक्स बना जो उपभोक्ता से वसूल किया गया और उतना ही टैक्स सरकार को पहुंचा। बाकी सभी लेनेदेन में मोहन और पेंटर को अपनी अतरिक्त चुकाए गए टैक्स पर छुट यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल जाती है।
और पढ़े :- (भारत में वह वस्तुएं और सेवाएं जो इनपुट टैक्स क्रेडिट के योग्य नहीं है?)
जीएसटी में टैक्स दरें?
जीएसटी में दर की बात करें तो जीएसटी काउंसिल ने 1300 से अधिक वस्तुओं (गुड्स) और 500 से अधिक सेवाओं (सर्विसेज) को 5 टैक्स स्लैब में फिट किया है, जो इस प्रकार है :-
- 0% जीएसटी दर स्लैब (जीएसटी दर स्लैब में छूट) 7 प्रतिशत वस्तुए और सेवाएँ इस श्रेणी में आते हैं।
- 5% जीएसटी दर स्लैब – 14 प्रतिशत वस्तुए और सेवाएँ।
- 12% जीएसटी दर स्लैब – 17 प्रतिशत वस्तुए और सेवाएँ।
- 18% जीएसटी दर स्लैब – 43 प्रतिशत वस्तुए और सेवाएँ।
- 28% जीएसटी दर स्लैब – 19 प्रतिशत वस्तुए और सेवाएँ।
जीएसटी कैसे लॉगिन करें?
जीएसटी कानून के तहत इसमें लॉगिन करने के लिए आपको भारत सरकार द्वारा दी गयी वेबसाइट पर जाकर आप लॉगिन कर सकते है। इस लिंक पर https://services.gst.gov.in/services/login क्लिक करने के बाद, आप सीधे लॉगिन स्क्रीन पर पहुंच सकते है। अकाउंट लॉगिन करने के बाद, आप इसमें पोर्टल पर जीएसटी पंजीकरण करने की प्रक्रिया अथवा उसके बाद डीएससी या ईवीसी की सहायता से सत्यापित करके आसानी से इससे जुड़ी तमाम गतिविधियों को संचालित कर सकते है।
आप इसमें जीएसटी पोर्टल पर डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाण पत्र के साथ जीएसटी रिटर्न भी भर सकते है। बता दें कि इस पोर्टल के माध्यम से जीएसटी के तहत पंजीकरण से लेकर जीएसटी रिफंड अथवा जीएसटी पंजीकरण रद्द प्रक्रिया के लिए सब कुछ आसानी से किया जा सकता है। इतना ही नहीं, वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत रिटर्न या निल रिटर्न अथवा जीएसटी पंजीकरण में संशोधन प्रक्रिया को जीएसटी पोर्टल का उपयोग करके किया जा सकता है।
जीएसटी का इतिहास और खोज?
जीएसटी या गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक अप्रत्यक्ष कर के रूप में कार्य करता है, जो पूरे देश के लिए प्रासंगिक है। जीएसटी लागू होने के बाद, अन्य सभी करों और नियमों में बदलाव हुआ है जो पहले से ही भारत में लागू थे। बता दें कि इस अधिनियम को 29 मार्च 2017 को संसद के माध्यम से मजबूत किया गया था, जिसके बाद भारत में यह 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ।
ऐसा कहा जाता है कि यह कर किसी भी भारतीय को दिए गए सामान या सेवाओं पर काम करता है, जैसा कि नाम से पता चलता है। इसके अलावा, अन्य करों, जो पहले से ही केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लगाए गए थे, सभी को जीएसटी के तहत लाया गया था। इसके बाद, केंद्र या राज्य सरकार द्वारा लगाया गया कर नीचे उल्लिखित है, जो अब जीएसटी के अंतर्गत आता है।
- सेवा टैक्स।
- केंद्रीय उत्पाद शुल्क कानून।
- वैट टैक्स।
- प्रवेश टैक्स।
जीएसटी की खोज का मुख्य उद्देश्य पूरे देश को एक कर कानून के तहत लाने के साथ-साथ विभिन्न राज्यों से कर मुक्त, राज्य की अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत करना था। इस कदम को एक रूप में भी रेखांकित किया गया है, जो हमारे आने वाले समय में अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ाने में मदद करेगा।
आपको बता दें कि जीएसटी लॉगिन पोर्टल नए जीएसटी शासन के तहत विभिन्न कार्यों को एक्सेस करने का एक तरीका है, जो जीएसटी से संबंधित सभी दुविधाओं को आसानी से दूर कर सकता है। अथवा या आप जीएसटी प्रैक्टिशनर व्यक्ति की सहायता से जीएसटी लॉगिन पोर्टल पर पंजीकरण और लॉगिंग से संबंधित सभी जानकारी पूरा कर सकते है, जिसकी मदद से आपको किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
और पढ़े :- (जीएसटी प्रैक्टिशनर सर्टिफिकेट कैसे डाउनलोड करें?)
भारत में जीएसटी संख्या क्या है?
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर (जीएसटीआईएन) या जीएसटी संख्या (नंबर) एक विशिष्ट पहचानकर्ता है जिसे जीएसटी अधिनियम के तहत पंजीकृत किसी व्यवसाय या व्यक्ति को सौंपा गया है। जीएसटीआईएन का उपयोग कर अधिकारियों द्वारा जीएसटी बकाया राशि और जीएसटी अधिनियम के तहत पंजीकृत लोगों के भुगतानों के रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए किया जाता है। जीएसटी नंबर पहले करदाता पहचान प्रणाली जैसे कि टिन (कर पहचान संख्या) की जगह लेता है, जिसका उपयोग राज्य कर अधिकारियों द्वारा वैट जैसे राज्य कर रिकॉर्ड को ट्रैक करने के लिए किया जाता था।
टीआईएन जैसी पुरानी प्रणालियों के तहत पंजीकृत व्यवसाय स्वचालित रूप से जीएसटीआईएन प्रणाली में स्थानांतरित हो गए थे और अपने नए जीएसटी नंबर को स्वचालित रूप से प्राप्त किया था। दूसरी ओर, नए जीएसटी पंजीकरण कराने वालों को एक बार नया जीएसटीआईएन प्राप्त होगा, जब उनका पंजीकरण पूरा हो जाएगा और अनुमोदित हो जाएगा। वर्तमान जीएसटी नियमों के अनुसार, सभी जीएसटी पंजीकृत व्यवसायों को उन सभी जीएसटी चालान पर जीएसटीआईएन प्रिंट करना आवश्यक है जो वे ग्राहकों को प्रदान करते हैं।
भारत में जीएसटी की जरूरत क्यों?
वैसे मान कर चलें तो जीएसटी भी वैट जैसा ही टैक्स है, लेकिन इसके लागू होने से कई और तरह के टैक्स नहीं लगेंगे। इतना ही नहीं जीएसटी लागू होने से अभी लगने वाले वैट और सेनवेट दोनों खत्म हो जाएंगे। जीएसटी लागू होने से सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को होगा। क्योकि पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होगा। यानी पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी।
उदाहरण से समझिये :-जैसे कोई कार अगर आप दिल्ली में खरीदते हैं तो उसकी कीमत अलग होती है, वहीं किसी और राज्य में उसी कार को खरीदने के लिए अलग कीमत चुकानी पड़ती है। लेकिन जीएसटी कानून के लागू होने से कोई भी सामान किसी भी राज्य में एक ही रेट पर मिलेगा।
भारत में जीएसटी कब पेश किया गया था?
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर है जिसे 1 जुलाई 2017 को भारत में पेश किया गया था और पूरे भारत में लागू किया गया था। जो केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए कई करों को चालू कर चुका था। इसे संविधान 101 अधिनियम 2017 के रूप में पेश किया गया। इसका मतलब यह है की भारत में जीएसटी कानून प्रक्रिया 1 जुलाई 2017 को लागू की गयी थी।
कितने देशों में जीएसटी कानून लागू हैं?
विश्व के लगभग 160 देशों में जीएसटी की कराधान व्यवस्था लागू है। वहीं, वर्ष 1954 में जीएसटी लागू करने वाला फ्रांस दुनिया का सबसे पहला देश है। भारत में सबसे पहले इसका विचार अटलबिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा साल 2000 में लाया गया था। यूरोपियन यूनियन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और चीन जैसे देशों में भी यह लागू है, लेकिन भारत में अब भी कुछ राज्य जैसे की बंगाल और बिहार ने प्रस्तावित जीएसटी कानून को लेकर आपत्ति जताई है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने भी अभी जीएसटी को हरी झंडी नहीं दी है। लेकिन अभी तक भारत में जीएसटी का असर देखे तो काफी अच्छा रहा है। लेकिन जीएसटी से अकेले लाभ ही नहीं बल्कि कुछ देशों को बहुत नुकसान भी हुआ है। कुछ देशों की अर्थव्यस्था तो माईनस तक भी पहुंच गई है।
जीएसटी में कारोबारियों की कितनी श्रेणियाँ (कैटेगरी) होती है?
जीएसटी के तहत कारोबारियों की तीन श्रेणी बनायी गयी हैं। पहली 40 लाख तक सालाना टर्नओवर वाली, दूसरी 40 से 75 लाख और तीसरी श्रेणी 75 लाख से ज्यादा टर्नओवर वाली है। कारोबारियों की परेशानियों और शंकाओं को दूर करने के लिए चार्टड अकाउंटेंट (प्रैक्टिशनर व्यक्ति) सुनील भंसाली ने तीनों श्रेणियों में आने वाले कारोबारियों के सवालों के जवाब देने की कोशिश की है।
1. 40 लाख तक सालाना टर्नओवर वाले कारोबारी पर जीएसटी का असर
जहां तक 40 लाख से नीचे के दुकानदारों का मतलब है उनके ऊपर टैक्स का कोई फर्क नहीं पड़ेगा, अर्थात जीएसटी से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पहले भी वो टैक्स नहीं देते थे, अब भी जीएसटी की छूट वाली श्रेणी में आएंगे, उनको अब टैक्स देने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। जीएसटी आने के बाद 20 लाख (अब 40 लाख) तक सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
2. 40 से 75 लाख तक सालाना टर्नओवर वाले कारोबारी पर असर?
पहले व्यापारियों को मौजूदा कानून के मुताबिक सामान बेचने पर वैट और कई दूसरे टैक्स देने पड़ते थे। वैट बचाने के लिए ऐसे व्यापारी या तो ग्राहकों को बिल नहीं देते थे या फिर अपने पास मौजूद सामानों बिक्री नहीं दिखाते थे, नतीजा बचा हुआ पैसा इनके खाते में रह जाता था, लेकिन जीएसटी आने के बाद ऐसा करना नामुमकिन हो जाएगा, इन व्यापारियों के पास सिर्फ दो ही विकल्प होंगे। नीचे दोनों विकल्पों को देखिये।
a) सबसे पहले
सबसे पहला विकल्प, वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत पंजीकरण करें, इससे ग्राहक जीएसटी चार्ज अथवा रिवर्स चार्ज कर पाएंगे और इनपुट क्रेडिट भी ले पाएंगे।
b) दूसरा
दूसरा विकल्प सरकार की समग्र योजना (कम्पोजिट स्कीम) को लेना होगा। इसमें उन्हें सालाना टर्नओवर का मात्र 0.5% देना होगा, यानी उन्हें 75 लाख के टर्नओवर के लिए सालाना 37500 रुपये चुकाने होंगे, इसके आलावा कोई और टैक्स नहीं होगा। जिन लोगों ने अपने उत्पाद में जीएसटी दिया है, वे इसका श्रेय नहीं ले सकते हैं, न ही वे अपने ग्राहक से जीएसटी जमा कर सकते हैं, जो कि 0.5 है जो कि उनके लाभ के लिए .5 प्रतिशत माना जाता है।
3. 75 लाख से ज्यादा सालाना टर्नओवर वाले कारोबारी पर असर
जीएसटी का सबसे ज्यादा असर 75 लाख से ज्यादा कुल कारोबार वाले व्यापारियों पर ही पड़ने वाला है, अक्सर ऐसे व्यापारियों के साथ फर्ज़ी बिल, गलत तरीके से रिफंड बिक्री के आंकड़ों और रिटर्न (जीएसटीआर 1, जीएसटीआर 3B) में छेड़छाड़ की शिकायतें आती हैं, लेकिन अब जीएसटी आने के बाद ऐसा करना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि सही जानकारी नहीं दी तो सामान पर ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा और टैक्स क्रेडिट भी तभी मिलेगा जब व्यापारी सामान की बिक्री पर अपना मुनाफा दिखाकर टैक्स जमा करेगा।
ध्यान दें :- ऐसे व्यवसायों के लिए सारा औटो मैकेनिज्म (ऑटो तंत्र) है। जैसे ही सामान रोजमर्रा में होगा तो औटो सिस्टम में ट्रेल बनती जाएगी, और ट्रेल तब तक नहीं खत्म होगी जब तक उसको टैक्स चूका कर उपभोक्ता को नहीं ट्रांसफर किया जाएगा। अगर आप व्यापारी हैं तो जीएसटी लागू होने के बाद जानकारी छुपाना या टैक्स चोरी करना बहुत भारी पड़ सकता है, गलत जानकारी दी या उससे छेड़छाड़ की तो पकड़े जाने पर 6 महीने से 5 साल तक की सजा, 1 से 2 करोड़ तक टैक्स चोरी की तो 1 से 5 साल तक की सजा, 2 से 5 करोड़ तक टैक्स चोरी की तो 3 से 5 साल तक की सजा, अगर 5 करोड़ से ज्यादा के टैक्स की चोरी की तो 5 साल तक की सजा हो सकती है।
जीएसटी के दुष्प्रभाव?
- जीएसटी के लागू होने के बाद, सिनेमा हॉल टिकट, होटल बिल, बैंकिंग सेवाएं, यात्रा टिकट आदि सुगंधित होंगे।
- अप्रत्यक्ष कर से सरकार की कमाई प्रत्यक्ष कर से अधिक है और इसका एक हिस्सा राज्यों को भी दिया जाता है, लेकिन इस कर प्रणाली में कोई समस्या नहीं है। कई सामानों पर अप्रत्यक्ष कर की दर अलग-अलग होती है। एक वस्तु के विभिन्न उत्पादों पर कर की दर भी भिन्न होती है। अब राज्यों के बीच इस कर की दर को समाप्त करने से कुछ वस्तुओं की कीमतों में मामूली फेरबदल हो सकता है।
- जब किसी खाद्य पदार्थ को एक ब्रांड के रूप में बनाया जाता है, तो उस पर कर लगेगा। इसलिए गेहूं पर कोई कर नहीं लगेगा, लेकिन अगर आटे का उपयोग बिस्कुट के लिए किया जाता है, तो इस पर पहले की तरह जीएसटी लागू होगा।
- छोटी गाड़ियों पर फिलहाल एक्साइज ड्यूटी 8 फीसदी लगती है जबकि एसयूवी जैसी बड़ी गाड़ियों पर ये दर 30 फीसदी है। साफ है कि अगर सभी राज्यों ने मिलकर जीएसटी की दर को 18 फीसदी तय किया तो छोटी गाड़ियां महंगी हो जाएंगी और बड़ी गाड़ियां सस्ती। इससे राज्यों के बीच टैक्स दरों में फर्क खत्म होने के कारण अलग राज्य में गाडी रजिस्टर करके कम टैक्स देने की प्रथा भी खत्म हो जाएगी।
- महाराष्ट्र को सालाना 14000 करोड़ की कमाई आक्ट्राई यानी चुंगी (शहर में बाहर से आने वाले माल पर लगने वाला कर) से होती है। चुंगी यदि हट जाती है तो छोटे कारोबारियों का धंधा बिगड़ सकता है।
जीएसटी में जीटीए क्या है?
एक जीटीए मूल रूप से कोई भी व्यक्ति है जो सड़क से माल के परिवहन के संबंध में सेवाएं प्रदान करता है और कन्साईनमेन्ट नोट जारी करता है, जिसे आमतौर पर लॉरी रसीद (एलआर) कहा जाता है। इसलिए, एक व्यक्ति जो सड़क से माल के परिवहन की सेवा प्रदान करता है या लोडिंग, अनलोडिंग, पैकिंग, अनपॅकिंग जैसी कोई भी संबंधित सेवा देता है उसे जीटीए माना जा सकता है, यदि वह व्यक्ति कन्साईनमेन्ट नोट जारी करता है।
परिवहन सेवा लेने वाले व्यक्ति को कन्साईनमेन्ट नोट या एलआर जारी करना किसी व्यक्ति के लिए जीटीए के रूप में माना जाने की अभिन्न शर्त है। इस कन्साईनमेन्ट नोट की एक प्रति माल प्राप्तकर्ता को भेजी जाएगी जो माल प्राप्तकर्ता को जीटीए से माल प्राप्त करने का अधिकार देती है। एक कन्साईनमेन्ट नोट का होना, नियमित ट्रांसपोर्टर से जीटीए को अलग करता है। एक नियमित ट्रांसपोर्टर जो कन्साईनमेन्ट नोट अलावा, परिवहन सेवा के लिए कोई भी अन्य दस्तावेज जारी कर सकता है।
जीएसटी क्यों लागू किया गया है?
आपको पता है कि, जीएसटी लागू होने से पहले भारत में विभिन्न प्रकार के टैक्स लगते थे। जैसे की, सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट / सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्ज़री टैक्स लगाए जाते थे। पर अब जीएसटी लागू होने के बाद, वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन तरह के टैक्स वसूले जाएंगे। नीचे तीनों तरह के टैक्सों के बारे में जानने की कोशिश करते है।
- पहला सीजीएसटी, यानी सेंट्रल जीएसटी, जो केंद्र सरकार वसूलेगी।
- दूसरा एसजीएसटी, यानी स्टेट जीएसटी, जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी।
- तीसरा वो होगा जो कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर आईजीएसटी, यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा। इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जाएगा।
जीएसटी लागू होने से हर प्रकार की खरीद फरोख्त (घोड़ा बेचना) इस कर व्यवस्था के तहत आ जाएगी, जिससे लोगों के लिए करों की चोरी कर पाना आसान नहीं होगा। कहा जा रहा है कि जीएसटी काले धन से निपटने के लिए एक मजबूत हथियार साबित हुआ है। अगर आपने जीएसटी कानून के तहत चोरी करने की कोशिश की तो आप पर जुर्माना अथवा जेल भी हो सकती है। अथवा जीएसटी में लेट फीस का भी प्रावधान लागू होता है। लेकिन अभी भी कुछ वस्तु ऐसी है जिनपर जीएसटी लागू नहीं होता है, जैसे की (पेट्रोल पर जीएसटी, एलकोहल, तम्बाकू) आदि चीजों पर जीएसटी लागू नहीं होता है।
जीएसटी में टैली का महत्व?
वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत टैली का महत्व बहुत बड़ा होता है। इसका महत्व जानने के लिए सबसे पहले टैली के बारे में आपको जानना होगा। भारत में व्यवसायों के बीच टैली सॉफ्टवेयर सबसे लोकप्रिय और विश्वसनीय गुड्स एंड सर्विसेज तैयार लेखांकन सॉफ्टवेयर है। टैली ईआरपी 9 सॉफ्टवेयर के तहत आप लेनदेन स्तर पर सही ढंग से डाटा को इस सॉफ्टवेयर की सहायता से बिना किसी मुसीबत के दर्ज कर सकते है। अथवा टैली सॉफ्टवेयर सुनिश्चित करता है की आप जीएसटी प्रारूप के अनुसार गुड्स एंड सर्विसेज चालान या बिल और लेनदेन उत्पन्न कर सकते है। जब आप जीएसटी के तहत जीएसटी पोर्टल पर (जीएसटी रिटर्न भरने) बिल निकलते है तो जीएसटी बिल के ऊपर एक चौदह अंको की संख्या (सीपीआईएन) ऑटोमैटिक जनरेट होती है। जिसकी सहायता से बिल की पहचान होती है। अथवा आप जीएसटी बिल ऑनलाइन जीएसटी पोर्टल पर भी उपलोड कर सकते है।
आप टैली में जीएसटी बिल भी बना सकते है। टैली का उपयोग करने के लिए सबसे पहले आपको टैली में जीएसटी सक्रिय करने की जरूरत होती है। इसके बाद आप इसके तहत बिल अथवा चालान अथवा बहुत सी चीज कर सकते है। टैली सॉफ्टवेयर की सहायता से आप ई-वे बिल भी बना सकते है।
जीएसटी दहलीज क्या है?
जीएसटी परिषद ने एमएसएमई द्वारा की गई मांगों पर विचार करने के बाद, जीएसटी पंजीकरण के लिए कुल कारोबार की समय सीमा बढ़ा दी है। यह जीएसटी के तहत अनुपालन को आसान बनाने में मदद करता है। राज्यों के पास उच्च सीमा के लिए विकल्प चुनने या मौजूदा सीमाओं के साथ जारी रखने का विकल्प है। नीचे हम देखेंगे की पहले जीएसटी दहलीज क्या थी और अब वह भड़कर कितनी हो गयी है।
पहले की सीमाओं, नई सीमाओं और प्रयोज्यता की तिथि का अवलोकन?
अलग टर्नओवर | पंजीकरण आवश्यक | प्रयोज्यता |
इससे पहले की सीमाएँ – माल / सेवाओं की बिक्री के लिए। | ||
20 लाख रुपये से अधिक | हाँ – सामान्य श्रेणी के राज्यों के लिए। | 31 मार्च 2019 तक। |
10 लाख रुपये से अधिक है। | हाँ – विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए | 31 मार्च 2019 तक। |
नई सीमाएँ – माल की बिक्री के लिए। | ||
40 लाख रुपये से अधिक है। | हाँ – सामान्य श्रेणी के राज्यों के लिए | 1 अप्रैल 2019 से लागू। |
20 लाख रुपये से अधिक। | हाँ – विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए | 1 अप्रैल 2019 से लागू। |
नई सीमाएँ – सेवाएं प्रदान करने के लिए | ||
सेवा प्रदाताओं के लिए दहलीज सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ है। |
जीएसटी किस लेख के अंतर्गत आता है?
केंद्र सरकार ने लोकसभा में 19 दिसंबर 2014 को वस्तु कर एवं सेवा कर से संबंधित संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 पेश कर दिया। संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 संविधान में नए अनुच्छेद 246A, 269A, अनुच्छेद 279A को शामिल करेगा और अनुच्छेद 268A को समाप्त कर देगा जो संविधान में 88 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2003 द्वारा शामिल किया गया था।
यह संविधान संशोधन विधेयक संविधान की सातवीं अनुसूची में दी गयी संघ सूची से प्रविष्टि 92 और 92C और राज्य सूची से प्रविष्टि 52 और 55 समाप्त करेगा। सरकार ने यह विधेयक देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष करों की एक जैसी प्रणाली को स्थापित करने के उद्देश्य से पेश किया है। इसके अलावा इस विधेयक के द्वारा अनुच्छेद 248, 249, 250, 268, 269, 270, 271, 286, 366, 368 छठी अनुसूची और संघ सूची की प्रविष्टि 84 और संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में प्रविष्टि 54 और 62 को संशोधित करने का भी प्रावधान है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नयी प्रणाली से राज्यों को राजस्व का किसी प्रकार का घाटा नहीं होगा वास्तव में इससे राज्यों का राजस्व पहले से बढेगा। इसे संसद से दो तिहाई बहुमत से पास कराना होगा। कम से कम इसका 15 राज्यों की विधानसभाओं से पास होना जरूरी होगा।
जीएसटी सुविधा केंद्र क्या है?
देश में जीएसटी के लागू होने के बाद, जीएसटी सलाहकारों की मांग बहुत बढ़ गई है और ऐसी स्थिति में, जीएसटी सुविधा केंद्र खोलने से आप लोगों को मदद मिल सकती है और अच्छी आय भी हो सकती है। कुशाल सील प्राइवेट लिमिटेड जीएसटी सुविधा केंद्र का फ्रेंचाइजीकरण कर रहा है। जीएसटी सुविधा केंद्र के माध्यम से ग्राहकों को 100 से अधिक बैंकिंग, वित्तीय और ऋण सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं। मुद्रा लोन जैसी कई सरकारी सेवाओं के लिए, जीएसटी सुविधा केंद्र से आवेदन किया जा सकता है। हालांकि, यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि जीएसटी सुविधा केंद्र एक सरकारी योजना नहीं है।
1. कौन फ्रेंचाइजी ले सकता है?
आपको पता है की आज कल जीएसटी सलाहकारों की मांग काफी भड़ गयी है। तो ऐसी स्तिथि में आप खुद अपनी फ्रेंचाइजी खोल सकते है। और लोगो की जरूरत भी पूरी कर सकते है। नीचे ऐसे ही कुछ लोगो की लिस्ट दर्शाई गयी है। जो फ्रेंचाइजी ले सकता है।
- पूर्व जीएसटी की जानकारी आवश्यक नहीं है।
- आवेदक का कम से कम 12 वीं पास होना जरूरी है।
- उचित कार्यालय स्थान आवश्यक है।
- इंटरनेट, कंप्यूटर और प्रिंटर की आवश्यकता।
2. जीएसटी सुविधा केंद्र पर मिलने वाली सेवाएं?
- सरकारी सेवाएं – जीएसटी सुविधा केंद्र पर कई तरह की सरकारी सेवाएं मिलती हैं। जैसे बीमा, पेंशन सर्विस, ई-नागरिक, ई-डिस्ट्रिक्ट सर्विस, चुनावी सेवा, ई-कोर्ट, रिजल्ट और डिजिटल इंडिया।
- वित्तीय सेवाएं – सीए सर्टिफिकेशन, इनकम टैक्स ऑडिट, उद्योग आधार, जीएसटी रिटर्न फाइलिंग, डीएससी और एकाउंटिंग।
- क्रेडिट कार्ड सेवा, मनी ट्रांसफर, प्री-पेड कार्ड सर्विस, आधार मनी ट्रांसफर।
जीएसटी के प्रभाव?
भारत में वस्तु एवं सेवा कर प्रक्रिया के आने से बहुत से प्रभाव देखने को मिले है। जिनमे से कुछ अच्छे प्रभाव भी है, और कुछ गलत प्रभाव भी प्रकट हुए है। ऐसे सभी प्रभावों को नीचे एक एक करके विस्तार से जानने की कोशिश करते है।
1. ई-कॉमर्स
भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र में छलांग और सीमा में वृद्धि हुई है। कई मायनों में, जीएसटी ई-कॉम क्षेत्र की निरंतर वृद्धि में मदद करेगा लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव विशेष रूप से दिलचस्प होगा क्योंकि जीएसटी कानून विशेष रूप से व्यक्ति के स्रोत (टीसीएस) तंत्र पर कर संग्रह का प्रस्ताव करता है, जिससे ई-कॉम कंपनियां बहुत खुश नहीं हैं। टीसीएस की वर्तमान दर 1 प्रतिशत है।
2. टेक्सटाइल (कपड़ा)
भारतीय कपड़ा उद्योग देश में बड़ी संख्या में कुशल और अकुशल श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है। यह कुल वार्षिक निर्यात का लगभग 10% योगदान देता है, और यह मूल्य जीएसटी के तहत बढ़ने की संभावना है। जीएसटी कपड़ा उद्योग की कपास मूल्य श्रृंखला को प्रभावित करेगा जो कि ज्यादातर छोटे मध्यम उद्यमों द्वारा चुना जाता है क्योंकि यह पहले शून्य केंद्रीय उत्पाद शुल्क (वैकल्पिक मार्ग के तहत) को आकर्षित करता था।
3. विशेष आर्थिक क्षेत्र
उपरोक्त प्रावधानों के आधार पर, यह स्पष्ट है कि सेज योजना के अनुसार, डीटीए (घरेलू शुल्कदर क्षेत्र ) से एसईजेड को भारत में आयात के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। और माल की निकासी पर आयातक द्वारा सीमा शुल्क का भुगतान किया जाता है। इसलिए, सेज से डीटीए के लिए भारत में आयात किए गए सामान सीमा शुल्क अधिनियम, 1975 के तहत सीमा शुल्क के भुगतान के लिए उत्तरदायी हैं, जिसमें सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 3 (7) के अनुसार एकीकृत कर शामिल हैं।
4. रियल एस्टेट
रियल एस्टेट सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जो भारत में रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रियल एस्टेट क्षेत्र पर जीएसटी के प्रभाव का पूरी तरह से आकलन नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह काफी हद तक कर दरों पर निर्भर करता है। हालांकि, जीएसटी कार्यान्वयन से सेक्टर को काफी लाभ होगा, क्योंकि यह उद्योग के लिए बहुत आवश्यक पारदर्शिता और जवाबदेही लाया है।
5. कर के ऊपर कर पर रोक
भारत में पहले वेट टैक्स प्रक्रिया के तहत कर के ऊपर कर लगाया जाता था। जिसे हम उपकर नाम से भी जानते थे। इससे व्यक्तियों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन जब जीएसटी भारत में आया, तो उपकार प्रक्रिया समाप्त हो गई।
6. सोने पर जीएसटी का प्रभाव
भारत में नयी कर प्रणाली लागु होने के बाद से ही जीएसटी का सोने पर प्रभाव बहुत पड़ा है, जिससे सोने की कीमत उच्च स्तर पर पहुंच जाती हैं। हालाँकि, आयात शुल्क के 10% पर लगाए गए 3% जीएसटी के कारण सोने की भौतिक माँग भी कुछ कम रही है। दूसरे शब्दों में हम कहे सकते है, जीएसटी लागू होने से सोना 0.75% महंगा हो गया है।
7. एयरलाइन टिकट पर जीएसटी का प्रभाव
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, भारत सरकार द्वारा एक एकल कर दर के तहत सभी खंडित करों को मिलाने की एक पहल थी। नए कराधान के तहत, अर्थव्यवस्था वर्ग पर जीएसटी टैक्स की दर 5% है, जबकि व्यवसायी वर्ग 12% है। उपभोक्ता स्तर पर प्रतिशत में बहुत अधिक अंतर नहीं हो सकता है। लगातार हवाई यात्रियों ने अपने उड़ान शुल्क पर जीएसटी के कारण परिवर्तन को देखा हो सकता है। प्लेन की ज्यादातर श्रृंखला इकोनॉमी क्लास के लिए होती हैं। एयरलाइंस, इकोनॉमी क्लास में यात्रा करने वाले यात्रियों से सबसे अधिक राजस्व प्राप्त करती है। इसलिए, टैरिफ पर जीएसटी के बारे में जागरूकता की आवश्यकता अर्थव्यवस्था वर्ग के यात्रियों को सबसे अधिक है।